सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा जमीन आवंटन घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव के दोष को बरकरार रखा है. लेकिन उन्हें मिली तीन साल कैद की सजा को घटाकर दो साल कर दिया है.
बुधवार को जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमति की एक पीठ ने इसी मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के दोष को भी बरकरार रखा. अदालत ने उन्हें दी गई तीन साल कैद की सजा को भी घटाकर दो साल कर दिया.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 1971 बैच की आईएएस अधिकारी नीरा यादव ने नोएडा में सीईओ के पद पर रहते हुए नियमों का उल्लंघन किया और जमीन के एक टुकड़े को एक उद्योगपति को आवंटित कर दिया था.
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि नीरा ने गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल करने के लिए तय भूखंड का इस्तेमाल बदलने के लिए 1983 के बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची. उनपर नियमों का उल्लंघन कर के इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का भी आरोप है. इस घटनाक्रम के दौरान राजीव उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे.
जांच एजेंसी ने कहा था कि नोएडा में सीईओ रहने के दौरान नीरा ने लोकसेवा से जुड़े अपने पद का दुरूपयोग किया. उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर के अपने लिए एक भूखंड आवंटित करवा लिया.
सीबीआई ने कहा था, ‘दायर आवेदन कई तरह से अधूरा होने के बावजूद और इसे योजना के बाद जमा कराए जाने के बावजूद आवंटन कर दिया गया था.’ यह भी आरोप लगाया गया कि नीरा ने अपनी दो बेटियों के नाम पर दो भूखंड आवंटित किए, जबकि वह जानती थीं कि नोएडा के नियमों के तहत एक परिवार को एक ही भूखंड आवंटन की इजाजत है.