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शोपियां फायरिंगः मेजर आदित्य के पिता की याचिका पर 12 को SC में सुनवाई

27 जनवरी को शोपियां में पत्‍थर फेंकती भीड़ पर फायरिंग करने के दौरान दो कश्‍मीरी नागरिकों की मौत हो गई थी, इसी के बाद राज्य पुलिस ने सेना और मेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था

FP Staff

शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य पर हुए एफआईआर को खारिज करने के लिए उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है. 12 फरवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

गुरुवार को मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने वकील एश्वर्य भाटी के जरिए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि जिस तरह से एफआईआर दर्ज करने की घटना को दिखाया जा रहा है उससे राज्य के राजनीतिक नेतृत्व, प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे लोगों और राज्य के अत्यंत प्रतिकूल वातावरण को दर्शाता है.

मुकदमे से सेना के मनोबल पर पड़ेगा असर

उन्होंने अपने याचिका में कहा कि मेजर आदित्य और 10 गढ़वाल राइफल्स के खिलाफ हत्या और हत्या करने की कोशिश के लिए मुकदमा दर्ज किया गया था. इससे सेना को कर्तव्य निर्वहन में और आर्मी जवानों के मनोबल पर असर पड़ेगा.

उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य के अधिकारियों को पता था कि उस समय मेजर आदित्य वहां नहीं थे. इसके बाद भी मनमाने ढंग से शक्ति का प्रयोग कर मेरे बेटे को आरोपी बना दिया गया.

याचिका में कहा गया कि वहां मौजूद सैन्यकर्मी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी ड्यूटी कर रहे थे. हिंसक भीड़ से सरकारी संपत्ति के नुकसान को बचाने के लिए सेना यह काम करने को मजबूर हुई.

कश्मीर में हिसंक भीड़ डालती है सरकारी कार्यों में बाधा

याचिका में इस बात को मुख्य रूप से कहा गया है कि हिंसक भीड़ कश्मीर के कई इलाकों में सरकारी काम में बाधा डालती है. कई बार तो इस तरह की भीड़ सरकारी अधिकारियों की हत्या और जान से मारने तक का कृत्य कर देती है.

याचिकाकर्ता ने सैनिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने की भी मांग की है. साथ ही साथ इस घटना से उत्पीड़न के शिकार हुए सैन्य कर्मियों के लिए मुआवजे की भी मांग की है. उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की, जिनके कारण सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.

27 जनवरी को शोपियां में पत्‍थर फेंकती भीड़ पर फायरिंग करने के दौरान दो कश्‍मीरी नागरिकों की मौत हो गई थी. इस मौत का विरोध करते हुए जम्‍मू कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में जांच करने और पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए थे.