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रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को वापस भेजने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

शरणार्थियों का दावा है कि उनके समुदाय के खिलाफ बडे़ पैमाने पर भेदभाव, हिंसा और खूनखराबे की घटनाओं के कारण ही उन्होंने म्यांमार से भागकर भारत में शरण ली थी

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट गैरकानूनी रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के खिलाफ दायर याचिका पर चार सितंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया. इस निर्णय को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौतों सहित विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविकलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वकील प्रशांत भूषण की इस दलील पर विचार किया कि रोहिंग्या आदिवासियों को उनकी मातृभूमि वापस भेजने के सरकार के निर्णय के मद्देनजर इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है.


दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने दायर की है याचिका

यह याचिका दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्म्द सलीमुल्ला और मोहम्म्द शाकिर ने दायर की है. दोनों ही संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग के अंतर्गत पंजीकृत शरणार्थी हैं. उनका दावा है कि उनके समुदाय के खिलाफ बडे़ पैमाने पर भेदभाव, हिंसा और खूनखराबे की घटनाओं के कारण ही उन्होंने म्यांमार से भागकर भारत में शरण ली थी.

याचिका में कहा गया है कि उन्हें वापस भेजने का प्रस्ताव भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीने और व्यक्तिगत आजादी का अधिकार) और अनुच्छेद 51 (सी) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.

याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को बुनियादी सुविधायें सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए ताकि वे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जरूरी मानवीय गरिमा के साथ जीवनयापन कर सकें.