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इस हफ्ते SC में आधार से अयोध्या तक.. कई महत्वपूर्ण फैसले आने की संभावना

सुप्रीम कोर्ट के इसी हफ्ते आधार केस, अयोध्या केस, प्रमोशन में रिजर्वेशन, एडल्टरी (व्याभिचार) केस, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश मामला समेत कई अहम मामलों में फैसला सुनाने की संभावना है

FP Staff

दागी नेताओं पर पाबंदी लगाने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले 5 जजों की बेंच ने सुनवाई के बाद इसपर फैसला दिया.

इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के आधार केस, अयोध्या केस, प्रमोशन में रिजर्वेशन, एडल्टरी (व्याभिचार) केस, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश मामला समेत कई अहम मामलों में फैसला सुनाने की संभावना है.


चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ही इन सभी मामलों में अपना फैसला सुनाएगी. बता दें कि सीजेआई 2 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं.

आधार मामला

38 दिन तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. निजता (प्राइवेसी) को मौलिक अधिकार बताने का फैसला आने के बाद अब इस बारे में फैसला आएगा कि क्या आधार के लिए लिया जाने वाला डाटा निजता का उल्लंघन है या नहीं?

अयोध्या मामला

अदालत इस बात का निर्णय करेगा कि क्या 1994 के एम इस्माइल फारूकी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में 5 जजों की संवैधानिक पीठ के आदेश को दोबारा परखा जाएगा या नहीं. इस फैसले के दोबारा परीक्षण के लिए इसे सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने भेजा जाए या नहीं, इस पर फैसला सुरक्षित रखा गया है.

प्रमोशन में रिजर्वेशन

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, एससी/एसटी आरक्षण के तहत सेवा या नौकरी में लाभ पाने वाला व्यक्ति किसी दूसरे राज्य में उसका फायदा नहीं ले सकता है, जब तक कि वहां उसकी जाति सूचीबद्ध (लिस्टेड) न हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 30 अगस्त को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले को 7 जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर किया जाए या नहीं, इस मसले पर भी फैसला आएगा.

सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश 

केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की आयु की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का मानना है कि देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है. यह सार्वजनिक संपत्ति है. इसमें यदि पुरुष को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिला को भी जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. संविधान पीठ ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

व्याभिचार का मामला

शादीशुदा कोई पुरुष यदि किसी दूसरी शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंध बनाता है तो संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उस महिला का पति एडल्टरी (व्याभिचार) का केस दर्ज करवा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला नहीं बनता. संविधान पीठ ने कानूनी और सामाजिक तौर पर पेचीदा समझे जा रहे इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.