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बुजुर्गों के हाल और वृद्धाश्रमों के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से मांगा जवाब

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बात पर नजर रख रहा है कि बुजुर्गों के लिए क्या किया जा सकता है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के बारे में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की एक याचिका पर शुक्रवार को राज्यों से हर जिले में वृद्धाश्रम की हालत के बारे में जवाब मांगा है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बात पर नजर रख रहा है कि बुजुर्गों के लिए क्या किया जा सकता है.


जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा, 'हमें देखना होगा कि वृद्धों के लिए क्या किया जा सकता है. राज्यों को प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रमों की स्थिति के बारे में याचिका पर अपने जवाब देने चाहिए.'

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह वृद्धावस्था पेंशन के रूप में 200 रुपए. दे रहा है. उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी बढ़ रही है, ऐसे में बुजुर्गों के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने केंद्र की ओर से कहा कि केंद्र सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए नई नीति ला रही है और पेंशन राशि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है.

'200 रुपए पेंशन काफी नहीं'

उन्होंने कहा कि 200 रुपए वृद्धावस्था पेंशन सारे देश में एक समान नहीं है. हरियाणा में यह 1600 रुपए थी और पुडुचेरी में यह 60 से 79 साल के लोगों के लिए 2000 रुपए और 80 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए 3000 रुपए थी. आनंद ने कहा कि केंद्र इस याचिका को प्रतिकूल नहीं मान रहा है और बुजुर्गों के लिए जरूरी समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है.

कुमार ने कहा कि पेंशन में राष्ट्रीय स्तर पर समानता होनी चाहिए और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए मानदंड होना चाहिए.

बेंच ने तब एएसजी से देश के हर जिले में वृद्धाश्रम की स्थिति के बारे में बताने को कहा.

एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि इस तरह के वृद्धाश्रमों का निर्माण करना राज्यों का विषय है और केंद्र इनमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. इसके बाद बेंच ने कहा कि बेहतर होगा कि याचिका पर राज्य अपने जवाब दाखिल कर स्थिति साफ करें.