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अनजाने में पहुंचाई धार्मिक भावनाओं को ठेस तो नहीं होगा कोई केस

धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर करीब तीन साल की सजा का प्रावधान है.

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति लापरवाही या फिर अनजाने में किसी धर्म का अपमान करता है, तो उसपर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा क्योंकि इससे कानून का दुरुपयोग होता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी खबर के मुताबिक, आईपीसी की धारा 295ए के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की. कोर्ट का कहना है कि जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से किसी धर्म का अपमान करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा, जबकि अनजाने में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों इससे दूर रखा जाएगा.


आपको बता दें कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर करीब तीन साल की सजा का प्रावधान है.

जस्टिस दीपक मिश्रा, ए एम खानविलकर और एमएम शांतनागोद की बेंच ने कहा, लापरवाही, अनजाने में या फिर गैर इरादतन ढंग से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना आईपीसी की धारा में शामिल नहीं है.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने टीम इंडिया के वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने धोनी के खिलाफ चल रहे धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले को रद्द कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस में धोनी ने जानबूझकर या दुर्भावना के साथ यह काम नहीं किया था. गौरतलब है कि 2013 में एक बिजनस मैगजीन में धोनी की विष्णु के रूप में तस्वीर छपी थी, जिसके बाद उन पर केस दर्ज हुआ था.