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नाबालिग बच्चों पर पैरेंट्स का पूरा हक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्णय को गलत बताया जिसमें कहा गया था कि 18 साल से कम उम्र के नाबालिग के मामले में उससे जुड़े सभी फैसले लेने के अधिकार उसके माता-पिता या कानूनन नियुक्त किए गए अन्य किसी अभिभावक को है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग बच्चे पर उसके पैरेंट्स (अभिभावक) का पूरा अधिकार होने और उसके अपनी मर्जी से किसी अन्य के साथ रहने की इच्छा पर रोक लगाने के फैसले पर नाखुशी जाहिर की है.

जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण वाले बेंच ने इस मामले की सुनवाई में पाया कि गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला गलत है. जजों ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि किसी को भी नाबालिग बच्चे का गार्डियन नियुक्त करने का मतलब यह नहीं कि बच्चा किसी अन्य के साथ अपनी मर्जी से रहने की इच्छा न जाहिर करे.


बेंच ने कहा, ऐसे मामलों में बच्चे की बेहतरी सबसे पहली प्राथमिकता है. इसलिए ऐसा कैसे मान लिया जाए कि बच्चा अपनी मर्जी से जिसके साथ चाहे नहीं रह सकता. और जिसे उसका गार्डियन बनाया गया है वो हमेशा ही उसकी देखभाल करेगा, चाहे कुछ भी हो. हम ऐसे विचार के खिलाफ हैं.

सुप्रीम कोर्ट गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्णय पर प्रतिक्रिया दे रही थी, जिसमें यह कहा गया कि 18 साल से कम उम्र के नाबालिग के मामले में उससे जुड़े सभी फैसले लेने के अधिकार उसके माता-पिता या कानूनन नियुक्त किए गए अन्य किसी अभिभावक को है.