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सहमति के बगैर शादी: हिंदू मैरिज एक्‍ट पर विचार से SC का इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कर्नाटक की उस महिला को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया है, जिसका आरोप है कि उसकी सहमति के बगैर ही उसकी शादी की गई है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कर्नाटक की उस महिला को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया है, जिसका आरोप है कि उसकी सहमति के बगैर ही उसकी शादी की गई है. यह महिला इस समय दिल्ली में रह रही है और दिल्ली महिला आयोग उसकी मदद कर रहा है. इस महिला ने हिन्दू विवाह कानून के कुछ प्रावधानों को इस आधार पर निरस्त करने का अनुरोध किया था कि इसमें वर या वधू की सहमति अनिवार्य नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में लिया जाएगा और कानून के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता के मुद्दे पर विचार नहीं किया जाएगा. पीड़ित महिला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने पीठ से यह अनुरोध किया था.

पीठ ने टिप्पणी की हिन्दू विवाह कानून की धारा 12-सी में प्रावधान है कि यदि जबरन अथवा छल से सहमति ली गई है तो विवाह को अमान्य कराया जा सकता है. न्यायालय इस अनुरोध से सहमत हो गया कि इस महिला और उसके परिवार के सदस्यों, जिन्होंने उसे विवाह के लिए बाध्य किया, की पहचान का खुलासा नहीं किया जाए.

पीठ ने संबंधित पुलिस अधीक्षक को प्रतिवादियों पर नोटिस की तामील करने का निर्देश देते हुए इस मामले को पांच मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. सुनवाई के दौरान जयसिंह ने कहा कि महिला को शादी के लिए बाध्य किया गया है और इसीलिए वह अब संरक्षण चाहती है.