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बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं: जस्टिस कुरियन

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा जीतने के लिए यह किया

Bhasha

मामलों के ‘चुनिंदा’ तरीके से आवंटन और कुछ न्यायिक आदेशों के विरुद्ध देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत का कदम उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

उनके और तीन अन्य न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन के एक दिन बाद जोसेफ ने भरोसा जताया कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनका समाधान होगा.


पत्रकारों के सवाल पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘एक मुद्दा उठाया गया है. संबंधित लोगों ने इसे सुना है. इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे. इसलिए (मेरा) मानना है कि मुद्दा सुलझ गया है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले के समाधान में बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत है तो उन्होंने कहा, ‘मामले को हल करने के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला संस्था के भीतर हुआ है. इसे हल करने के लिए संस्था की ओर से जरूरी कदम उठाए जाएंगे.’

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मामले को राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या इसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है.

उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस की तरफ से कोई संवैधानिक खामी नहीं है, लेकिन उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए परंपरा, चलन और प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना चाहिए.

उन्होंने यहां एक समारोह से इतर कहा, ‘हम सिर्फ मामले को उनके संज्ञान में लाए हैं.’

कुरियन जोसेफ ने कहा कि न्यापालिका और न्याय के हित में न्यायाधीशों ने धीरे-धीरे कदम उठाया. इससे पहले, स्थानीय चैनलों ने जब उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए यहां के निकट कलाडी में उनके पैतृक घर का रुख किया तो जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘न्याय और न्यायपालिका के पक्ष में खड़े हुए. यही चीज कल वहां (नई दिल्ली में) हमने कही.’ उन्होंने कहा, ‘एक मुद्दे की ओर ध्यान गया है। ध्यान में आने पर निश्चित तौर पर यह मुद्दा सुलझ जाएगा.’ जस्टिस जोसेफ ने कहा कि ‘न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा जीतने के लिए यह किया.’