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सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पुलिस के आगे नहीं चलेगी नेताजी की नेतागीरी

कोर्ट ने कहा कि किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बीच में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक सीनियर ऑफिसर जिसे निश्चित कार्यकाल दिया गया है, उसे किसी राजनेता की मर्जी के चलते हटाया या फिर बीच में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है.

ये मानते हुए कि पुलिस प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप से जनता का सिस्टम पर से भरोसा हिल जाएगा, जस्टिस मदन बी लाकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि सरकार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तभी कार्रवाई कर सकती है, जब उसके पास उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत हों.


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक बेंच ने कहा, हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि किसी भी कानून-व्यवस्था या सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति में सबसे पहले जवाब देने वाला एक पुलिसकर्मी होती है न कि प्रशासन का ऑफिसर. अगर सबसे पहले जवाब देने वाले को अपने अधिकार से समझौता करना पड़ता है तो आम नागरिक मदद के लिए किसके पास जाएगा. इसके परिणामस्वरूप कानून कमजोर होगा. ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

इसके अलावा बेंच ने कहा कि पुलिस पर नेताओं का अत्याधिक कंट्रोल होने से कानूनी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को सोमवार को राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टीपी सेन कुमार को फिर से बहाल करने का आदेश दिया था. ये फैसला मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के लिए बड़ा झटके के रूप में देखा जा रहा है.

मदन बी लाकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने ये फैसला सेनकुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनाया था. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि सेनकुमार का तबादला मनमाने ढंग से और बिना कानून का पालन किए किया गया. इसका मतलब यह है कि सरकार को अब मौजूदा डीजीपी लोकनाथ बेहरा को हटाना पड़ेगा.

आपको बता दें कि पिछले साल 10 अप्रैल को सेनकुमार के डीजीपी पद पर कार्यरत होने के दौरान कोल्लम जिले में पुतिंगल मंदिर में एक बड़ा हादसा हुआ था. मंदिर में पटाखों के प्रदर्शन के दौरान विस्फोट से आगने के कारण 110 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 300 लोग घायल हो गए थे.