सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है.
अदालत ने मंगलवार को समान सेक्स के दो व्यस्कों के बीच सहमति से बनाए जाने वाले संबंध सहित अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध के दायरे में लाने वाली आईपीसी की धारा 377 रद्द करने की मांग को लेकर भरोसा ट्रस्ट के डायरेक्टर आरिफ जफर की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
8 जुलाई, 2001 को एनजीओ भरोसा ट्रस्ट के लखनऊ दफ्तर पर पुलिस ने छापा मारकर वहां से समलैंगिकों पर साहित्य और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किया था. आरोप लगा कि ट्रस्ट की आड़ में यहां समलैंगिकों के सेक्स रैकेट का संचालन होता है.
ट्रस्ट के 39 साल के डायरेक्टर आरिफ जफर और उनके 3 सहयोगियों को पुलिस ने सार्वजनिक तौर पर पिटाई की थी. बाद में उन्हें धारा 377 के तहत समलैंगिकता को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उन्हें बेल देने से पहले आरिफ को 47 दिन तक पुलिस कस्टडी में रहना पड़ा था.