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राम सेतु केस: 6 हफ्तों के भीतर सरकार को रखना होगा अपना पक्ष

सरकार ने कहा था कि रामसेतु के मानव निर्मित या प्राकृतिक बनावट तय करने के लिए कोई वैज्ञानिक विधि नहीं है

FP Staff

सालों से चले आ रहे पौराणिक रामसेतु मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 हफ्तों के भीतर सरकार को राम सेतु पर अपना स्‍टैंड साफ करना होगा. केंद्र सरकार को  ये साफ करना  होगा कि केंद्र सरकार इसे हटाना चाहती है या इसे संरक्षित करना चाहती है.

यूपीए-2 की सरकार ने पेश किया था नया हलफनामा

साल 2007 में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने अपने हलफनामे में रामायण के पौराणिक चरित्रों के अस्तित्व को ही नकार दिया था. जिसके बाद बढ़े धार्मिक और राजनीतिक विवाद के चलते यूपीए-2 सरकार ने 29 फरवरी 2008 को सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा पेश किया था.

केंद्र सरकार ने 'आस्था' का दिया था हवाला

सरकार ने कहा था कि रामसेतु के मानव निर्मित या प्राकृतिक बनावट तय करने के लिए कोई वैज्ञानिक विधि नहीं है.वहीं, केंद्र सरकार ने आस्था का हवाला देते हुए ये तक तर्क दिया था कि कंबन रामायण और पद्म पुराम में जिक्र है कि खुद भगवान श्रीराम ने अपने धनुष से पुल तोड़ दिया था. इसके बाद पुल को लेकर आस्था का प्रश्न नहीं उठता है. न अब राम सेतु है और न राम सेतु तोड़ा जा रहा है.

समुद्री जहाजों के लिए बनाया जाएगा लायक

सेतुसमुद्रम भारत और श्रीलंका के बीच तैयार होने वाली परियोजना है. इस परियोजना के तहत रामसेतु के इलाके के समुद्र को गहरा कर उसे समुद्री जहाजों के लायक बनाया जाएगा. परियोजना को पूरा करने के लिए उस संरचना को भी तोड़ा जाएगा जिसकी पहली तस्वीर नासा ने जारी की.

दो चैनल बनाने की है योजना

दरअसल, उथला समुद्र होने की वजह से भारत के पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक जाने के लिए एक जहाज को श्रीलंका के पीछे से चक्कर लगाकर जाना पड़ता है.

इस यात्रा में लगभग 780 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है. इस यात्रा में 30 घंटे ज्यादा खर्च होते हैं. इसलिए 89 किमी लंबे दो चैनल बनाने की योजना बनाई गई.

इससे बड़े-बड़े जहाज बिना श्रीलंका का चक्कर लगाए आ और जा सकें. इससे न सिर्फ समुद्री मार्ग का रास्ता छोटा होगा बल्कि हजारों करोड़ रुपए का तेल भी बचेगा.