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सुप्रीम कोर्ट ने HIV पीड़ित गर्भवती को दी बड़ी राहत, AIIMS में होगी मेडिकल जांच

केंद्र सरकार मेडिकल जांच के लिए पीड़िता को लाएगी पटना से दिल्ली.

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने सराहनीय कदम उठाते हुए एक एचआईवी पॉजीटिव गर्भवती महिला को बड़ी राहत दी है. टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी खबर के मुताबिक, कोर्ट ने 35 साल की इस महिला की मदद करते हुए पीड़िता की मेडिकल जांच एम्स में कराए जाने का आदेश दिया है. महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थी, जिस कारण उसका गर्भ ठहर गया था.

जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानवीलकर और एम एम शांतानागौदर की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और केंद्र सरकार से पीड़िता की एम्स में मेडिकल जांच के लिए उसे पटना से दिल्ली लाने को कहा.


जब महिला का यौन उत्पीड़न हुआ, उसके काफी समय बाद उसे अपने गर्भवती होने के पता चला और तभी से वो पटना में एक पुनर्वास केंद्र में रह रही है और एबॉर्शन कराना चाहती है. पटना स्थित एक एनजीओ और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कुछ रिसर्च स्कॉलर्स रेप पीड़िता के समर्थन में आगे आए और उसके लिए आवाज उठाई.

पीड़िता का समर्थन कर रहे इन लोगों ने पहले पटना हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए परमिशन नहीं दी की पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि एबॉर्शन कराना महिला के लिए सुरक्षित नहीं होगा. हाइकोर्ट ने कहा कि ये राज्य की ड्यूटी है कि बच्चे को जिंदा रखा जाए.

इसके बाद महिला ने मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उसे और अधिक पीड़ा न सहने और एम्स में जांच कराने के निर्देश दिए. कोर्ट ने एम्स से 6 मई तक महिला की जांच कराने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने और ये पता लगाने को कहा कि क्या वो एबॉर्शन करा सकती है या नहीं.