केंद्र सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड को जरूरी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. शुक्रवार को जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने कहा कि कोर्ट टुकड़ों में इस मामले पर काम नहीं चाहती. सभी याचिकाओं को 27 जून को सुना जाएगा.
बेंच ने कहा, 'बेहतर होगा कि सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाए. इनमें एक जैसा या समान ही मुद्दा हो सकता है.' इसके बाद सुनवाई को टाल दिया गया. इस मसले पर शांता सिन्हा ने जनहित याचिका दाखिल की थी. सिन्हा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व चेयरपर्सन रह चुकी हैं.
कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि आधार कार्ड से जुड़े मसलों पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने पिछला आदेश जारी किया था. इसलिए अंतरिम राहत के लिए संवैधानिक पीठ ही सुनवाई कर सकती है.
उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार सर्व शिक्षा अभियान, छात्रवृत्ति और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के लिए आधार कार्ड देने की समयसीमा को भी नहीं बढ़ाएगी. इस तरह की योजनाओं के लिए सरकार ने 30 जून तक की समयसीमा तय की है.
फाइनेंस एक्ट में जोड़े गए नए नियमों के अनुसार
रोहतगी ने कहा, 'आज 120 करोड़ लोगों के आधार कार्ड हैं लेकिन वे यहां नहीं हैं. जिन लोगों को इन योजनाओं का लाभ मिलना है वे कोर्ट नहीं आए हैं लेकिन जिन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ना है वे याचिका दर याचिका दाखिल किए जा रहे हैं.' उन्होंने बताया कि इस तरह की याचिका पिछले साल भी दाखिल की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने हाल ही में पैन कार्ड और आईटी रिटर्न से आधार कार्ड को जोड़ने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि फाइनेंस एक्ट में जोड़े गए नए नियमों के अनुसार, 30 जून से पहले पैन कार्ड और आईटी रिटर्न के लिए आधार कार्ड देना होगा.
(साभार: न्यूज़ 18 हिंदी)