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Super-40: कश्मीर में सेना का ये रूप भी देखें अलगाववादी

मानवाधिकार के नाम पर सेना का विरोध करने वाले अपनी बात को साबित करने के लिए वीडियो लेकर आते हैं, तस्वीरें जारी करते हैं.

Subhesh Sharma

इन दिनों बड़ी आसानी से सेना पर सवाल उठाए जा रहे हैं. सेना को राजनीति में घसीटा जा रहा है, कश्मीर में उसकी कार्रवाई पर हर दिन कोई न कोई कलम चलाकर सेना के बिल्कुल गैरसंवेदहीन चेहरे को सामने लाने की कोशिश कर रहा है.

मानवाधिकार के नाम पर सेना का विरोध करने वाले अपनी बात को साबित करने के लिए वीडियो लेकर आते हैं, तस्वीरें जारी करते हैं. कश्मीर के हालात को बयां करते ये वीडियो और तस्वीरें झूठी नहीं हैं. लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं जो ऐसे हालात में भी सेना को जबरन विलेन बनाने की कोशिशों को झुठलाती दिख जाती हैं.


कश्मीर में सेना सिर्फ आतंकवादियों को नहीं ठिकाने लगा रही, सिर्फ पत्थरबाजों को ही नहीं रोक रही, सिर्फ हालात को काबू में करने की कोशिश ही नहीं कर रही. सेना कश्मीर और घाटी का भविष्य बुन रही है, एक बेहतर कल की बुनियाद रख रही है, एक ऐसा कल जो वहां के बच्चों और नौजवानों को हौसले की उड़ान दे रहा है.

घाटी में सेना दिखा रही है नई राह

सेना कश्मीर के युवाओं को रोजगार और शिक्षा देने की हर एक संभव कोशिश कर रही है. सेना के इन कार्यों का ताजा उदाहरण है 'सुपर-40' की कामयाबी. दरअसल में सुपर-40 कश्मीर में सेना द्वारा चलाया जा रहा कोचिंग इंस्टीट्यूट है. जिसकी मदद से सेना कश्मीर के 40 प्रतिभाशाली और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए मुफ्त में सुविधा उपलब्ध कराने का काम कर रही है.

सेना ने जम्मू कश्मीर में सुपर-40 की शुरुआत बिहार के सुपर-30 के तर्ज पर ही की थी. सेना के इस नेक कार्य में सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी ऐंड लर्निंग (सीएसआरएल) और पेट्रोनेट एलएनजी ट्रेनिंग मदद कर रही है.

इस साल कश्मीर में सेना द्वारा चलाए जा रहे सुपर-40 कोचिंग इंस्टीट्यूट से 9 छात्र-छात्राओं ने जेईई एडवांस्ड की परीक्षा पास की है. मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सुपर-40 बैच के छात्रों से मुलाकात की और उनको बधाई दी. सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस साल मिली सफलता से हम काफी खुश हैं. सुपर-40 बैच के 9 छात्रों ने जेईई अडवांस्ड क्लियर किया है. सुपर-40 के कुल 28 छात्रों ने आईआईटी-जेईई मेन्स एग्जाम में सफलता पाई थी. इनमें 26 लड़के हैं और दो लड़कियां हैं. जबकि 5 छात्र किसी वजह से परीक्षा नहीं दे पाए थे. इस हिसाब से सुपर-40 की सफलता दर 80 फीसदी थी.

100 परसेंट रहा रिजल्ट

यही नहीं सेना घाटी में उच्च शिक्षा प्रदान कराने के लिए गुडविल स्कूल्स भी चला रही है. ऑपरेशन सद्भावना के तहत पहला आर्मी गुडविल स्कूल 1999 में उड़ी में बनाया गया था, उसके बाद से 45 स्कूल स्थापित हुए, जिसमें करीब 15 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं. एक लाख से ज्यादा बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा हासिल कर चुके हैं.

वहीं इस साल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गुडविल स्कूल के 10वीं और 12वीं नतीजे शानदार रहे. इस साल 100 प्रतिशत बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण रहे.

समझनी होगी अलगाववादियों की मंशा

घाटी में फैली अशांति के चलते जिस समय अधिकतर स्कूल बंद थे, उस वक्त भी गुडविल स्कूलों में छात्रों को शिक्षा दी जा रही थी. इस दौरान आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में कई स्कूल कॉलेजों में आग लगा दी थी, जबकि अलगाववादी नेताओं ने कश्मीर के लोगों से गुडविल स्कूलों का बहिष्कार करने को कहा. हुर्रियत ने अभिभावकों से कहा था कि वे अपने बच्चों को गुडविल स्कूलों में न भेजें.

वहीं कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने एक बयान में कहा था कि छोटे-मोटे भौतिक फायदे के लिए हमारी पीढ़ी हमारे हाथों से निकलती जा रही है. सेना द्वारा संचालित ये स्कूल हमारे बच्चों को अपने धर्म और संस्कृति से दूर कर रहे हैं. आतंकियों और अलगाववादियों की इस मंशा को कश्मीर के लोगों को समझना चाहिए.

सेना की वर्दी पहनकर अपराध कर रहा है कोई ओर

कश्मीर में बिगड़ते हालातों को लेकर कुछ लोग सेना को कहीं न कहीं जिम्मेदार मानते हैं. लोगों का कहना है कि सेना कश्मीर के लोगों पर जुल्म करती है, उनके साथ बदसलूकी करती हैं. यही नहीं पिछले साल सेना के जवानों पर रेप का आरोप तक लगा. जिस कारण घाटी में कई हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दिया गया.

ऐसी खबरें भी सामने आईं हैं, जब सेना की वर्दी पहनकर आतंकियों ने घटनाओं को अंजाम दिया है. रेप वाले मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. युवती ने कोर्ट में अपने बयान में कहा था कि जिन लोगों ने मेरे साथ रेप किया वो सेना के जवान नहीं थे, बल्कि आतंकवादी थे.

सेना की गलती ढूंढने वालों को क्यों नहीं दिखती उसकी सहनशीलता

आए दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, उन पर पत्थर फेंके जा रहे हैं, लेकिन किसी शहीद का नाम लोगों को याद नहीं रहता है. जबकि हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद देश भर में उसका नाम फैल जाता है. अलगाववादी नेताओं की अपील पर उसकी शवयात्रा में भारी भीड़ उमड़ती है. देश विरोधी नारे लगाए जाते है. इस सब के बावजूद दिन रात आतंकियों और पत्थरबाजों से लड़ रहे हमारे जवानों की सहनशीलता नहीं दिखती. हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सेना ने पत्थरबाजों से बचने के लिए एक कश्मीरी युवक का इस्तेमाल ह्यूमन शील्ड के तौर पर किया था.

सेना द्वारा उठाए गए इस कदम की बहुत से लोगों ने आलोचना की. लेकिन हमें वो वीडियो भी नहीं भूलना चाहिए, जिसमें कुछ कश्मीरी युवक सीआरपीएफ के जवान को लात मार रहे हैं. उनके साथ हाथापाई तक कर रहे, लेकिन जवानों ने उनकी इन हरकतों का कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप आगे बढ़ते रहे. इस वीडियो को देख साफ समझ आता है कि आखिर कश्मीर में कौन कितना सहनशील है.