नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा सभी राज्य सरकारों को लिखे गए एक पत्र के अनुसार केंद्र सरकार पोषण की स्थिति के आधार पर राज्यों और जिलों के लिए रैंकिंग व्यवस्था लाने की योजना बना रही है.
इसके अलावा केंद्र सरकार स्थानीय प्रशासन को उनके पोषण संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने में प्रोत्साहित करने के लिए वह उन्हें पुरस्कृत करने की एक व्यवस्था भी ला सकती है.
सरकार के थिंक टैंक के शीर्ष अधिकारी ने देश के उन 201 जिलों में एक केंद्रित रणनीति बनाने को भी कहा है जहां कमजोर बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है.
10 पोषण इंडिकेटर्स के आधार पर होगी रैंकिंग
कांत ने पिछले हफ्ते सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को एक पत्र में लिखा, 'भारत सरकार प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन शुरू करने पर विचार कर रही है जो राज्यों और जिलों द्वारा हासिल नतीजों से जुड़े होंगे और उनकी निगरानी एक वार्षिक सर्वेक्षण के जरिए की जाएगी.’ पत्र में कहा गया, 'पोषण परिणामों पर आधारित जिलों और राज्यों के रैंक के प्रकाशन' पर भी विचार किया जा रहा है.
थिंक टैंक ने 10 पोषण इंडिकेटर्स की पहचान की है, जिसमें शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर, एनीमिया से ग्रस्त गर्भवती महिलाएं और 6-59 महीने की आयु समूह के बच्चों की दरों में सुधार की बात शामिल की गई है.
201 जिलों में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का प्रदर्शन सबसे खराब है. 57 प्रतिशत कुपोषित लोग इन राज्यों से हैं.