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सोनिया गांधी की कोशिश भी महागठबंधन को नहीं बचा पाएगी !

बिहार में महागठबंधन में फूट का मामला अब काफी आगे निकल चुका है

Amitesh

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से अब बिहार में महागठबंधन की दरार को पाटने की कोशिश की जा रही है. सोनिया ने महागठबंधन के दो ध्रुव नीतीश कुमार और लालू यादव से फोन से बात कर दोनों के बीच सुलह की कोशिश की है.

बिहार में दोनों नेताओं से बातचीत के दौरान सोनिया ने गठबंधन को हर कीमत बचाने की गुहार लगाई. लेकिन, पूरी कवायद और अनुरोध बेअसर दिख रहा है. उनकी तरफ से नीतीश और लालू को एक करने की कोशिश हो रही थी तो दूसरी तरफ दोनों नेताओं के सिपहसलार एक बार फिर से उलझते दिखे.


'अपनी अकूत संपत्ति का श्रोत बताए लालू परिवार'

जेडीयू ने लालू यादव से उनके पूरे परिवार की संपत्ति का ब्योरा तक मांग डाला. जेडीयू प्रवक्ता नीरज शेखर ने पूछा लालू परिवार की अकूत संपत्ति का श्रोत क्या है? इसका खुलासा किया जाए. नीरज शेखर ने कहा कि हम नैतिक बल के बब्बर शेर हैं, करप्शन से समझौता नहीं कर सकते.

जेडीयू की तरफ से आए इस आधिकारिक बयान का मतलब साफ लग रहा है कि किसी भी सूरत में बात बनने वाली नहीं है. जेडीयू तेजस्वी यादव को बख्शने के मूड में नहीं है. नीतीश कुमार ने करप्शन पर जो सफाई मांगी थी, वो तथ्य और प्रामाणिकता से परे है. लिहाजा जेडीयू अब जीरो टोलरेंस की नीति पर चलते हुए इस्तीफे से कम पर राजी होगा, इसकी गुंजाइश ना के बराबर है.

दरअसल, जेडीयू इस वक्त आरजेडी की उस दलील के बाद आग बबूला है, जिसमें आरजेडी के 80 विधायकों और पार्टी के जनाधार का दंभ भरा गया था. एक दिन पहले ही आरजेडी के बिहार अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने आरजेडी की ताकत का एहसास कराया था. लेकिन, उनका दबाव का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है.

जेडीयू उनके बयान के बाद दबाव में आने के बजाए सख्त लहजे में जवाब दे रही है. नीरज शेखर ने लालू की संपत्ति पर सवाल उठाए तो जेडीयू के दूसरे प्रवक्ता तो अब आरजेडी को उसकी हैसियत बताने में लगे हैं.

मुगालते में न रहे आरजेडी: जेडीयू प्रवक्ता

जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि जेडीयू को सत्ता का मोह नहीं है. जेडीयू सत्ता के लिए कभी शासन में नहीं रहा. 80 विधायकों के लेकर मुगालते में ना रहें. 178 विधायक महागठबंधन के हैं. उन्होंने 2010 में आरजेडी को उसकी हैसियत की याद दिलाई, जब अकेले चुनाव मैदान में उतरी आरजेडी को महज 23 सीटें ही मिली थीं.

दरअसल, जेडीयू ये दिखाना चाह रही है कि नीतीश कुमार के चेहरे को ही आगे कर महागठबंधन ने चुनाव लड़ा था, तो महागठबंधन की जीत का श्रेय नीतीश कुमार के चेहरे को ही जाता है. उनकी साफ-सुथरी छवि के ही दम पर महागठबंधन को इतनी बड़ी जीत मिली जिसमें आरजेडी के भी 80 विधायक शामिल हैं.

उधर, सोनिया गांधी की पहल के बाद हो सकता है कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस्तीफा हो जाए. लेकिन, आरजेडी सूत्रों के मुताबिक अगर तेजस्वी यादव को इस्तीफे के लिए बाध्य किया जाता है तो उस हालात में आरजेडी कोटे के सभी मंत्री नीतीश सरकार से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन, सरकार को बाहर से समर्थन जारी रहेगा.

दरअसल, लालू यादव इस वक्त परिवार पर आए इस महासंकट से इस कदर डर गए हैं कि वो किसी भी सूरत में सरकार बचाना चाहते हैं. लेकिन, लालू सत्ता से बाहर रहकर किस हद तक और कब तक नीतीश कुमार को समर्थन देते रहेंगे, ये कह पाना मुश्किल है. लालू की सियासत को करीब से समझने वाले मानते हैं कि लालू इतने उदार नहीं हो सकते जो खुद सत्ता से बाहर रहकर नीतीश को बाहर से समर्थन देते रहें.

हालांकि, सोनिया गांधी की तरफ से पहल के बाद माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव का इस्तीफा जल्द ही होगा. लेकिन, अभी भी केवल इस्तीफे मात्र से लालू-नीतीश के बीच की दूरी कम होती नहीं दिख रही है. दोनों पार्टियों की कलह इस बात का संकेत दे रही है कि इस्तीफा दे देने भर से बात नहीं बनने वाली. अब भ्रष्टाचार का  मामला काफी आगे निकल चुका है.