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'गीत, कविताओं को ‘मानवीय सत्य’ के करीब होना चाहिए'

किरकिरे ने यह टिप्पणी अपनी पहली पुस्तक 'आपका मैं' के विमोचन से पहले बातचीत के दौरान दी

Bhasha

अपने पहले फिल्मी गीत ‘बावरा मन’ से ही चौतरफा तारीफ बटोरने वाले और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता गीतकार स्वानंद किरकिरे का मानना है कि किसी भी गीत या कविता को अमर होने के लिए उसे मानवीय सत्य के पहलुओं को छूना होगा.

किरकिरे को यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है कि वह एक ठेठ कवि नहीं हैं. उन्होंने ‘बंदे में था दम’ और ‘बहती हवा सा था’ जैसे लोकप्रिय गीतों के भी बोल लिखे हैं.


उन्होंने यह टिप्पणी अपनी पहली पुस्तक 'आपका मैं' के विमोचन से पहले बातचीत करने के दौरान की. यह पुस्तक उनकी हिंदी कविताओं का एक संग्रह है.

राजकमल प्रकाशन समूह के प्रकाशक सार्थक द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी कविताओं पर कभी कोई पुस्तक आएगी. एक किताब के लेखक के तौर पर जाने जाना एक अद्भुत अहसास है.'