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सोहराबुद्दीन मामला: अदालत ने आईपीएस अधिकारियों को नए सिरे से जारी किए नोटिस

जस्टिस बदर ने कहा कि जस्टिस तीन अधिकारियों को नोटिस दिए जाने के बाद रूबाबुद्दीन की पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई तेज करेगा

Bhasha

मुंबई सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश एम एन को उस याचिका पर नए सिरे से नोटिस जारी कर जवाब मांगा जिसमें उन्हें सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोप मुक्त करने को चुनौती दी गई है.

जस्टिस ए एम बदर सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने सीबीआई को निर्देश दिया कि तीन अधिकारियों के आवासीय और आधिकारिक पते रूबाबुद्दीन को दें ताकि उन्हें तत्काल नोटिस दिया जा सके.


जस्टिस बदर ने याचिका पर लगाई रोक

जस्टिस बदर, रूबाबुद्दीन द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसमें अगस्त 2016 और अगस्त 2017 के बीच मामले में तीन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है. जहां रूबाबुद्दीन ने मामले में शेष आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के उनकी पुनरीक्षण याचिका पर फैसला करने तक रोक लगाने की भी मांग की थी, वहीं जस्टिस बदर ने इसपर रोक लगाने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह शेष आरोपियों के लिए नुकसानदेह होगा.

हालांकि, उन्होंने कहा कि जस्टिस तीन अधिकारियों को नोटिस दिए जाने के बाद रूबाबुद्दीन की पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई तेज करेगा.

सुप्रीम कोर्ट  के मुकदमे को गुजरात के बाहर स्थानांतरित करने का आदेश देने के बाद मुंबई में विशेष अदालत फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई कर रही है. विशेष अदालत ने तीनों अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि सीबीआई ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

मामले में 38 आरोपियों में से 15 को विशेष अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया है. जिन 15 लोगों को आरोप मुक्त किया गया है उनमें से 14 आईपीएस अधिकारी हैं.सीबीआई ने इन 14 अधिकारियों में से सिर्फ एक अधिकारी एन के अमीन को आरोप मुक्त किये जाने को चुनौती दी है. अमीन सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं.