केंद्र सरकार ने 50 साल पुराने नियम को बदलते हुए अब अपने कर्मचारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच पूरी करने के लिए 6 महीने की समयसीमा तय कर दी है.
यह फैसला ऐसे मामलों की जांच में तेजी लाने के उद्देश्य से किया गया है. इनमें से अधिकतर मामले काफी समय से लंबित पड़े हैं.
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग, डीओपीटी ने सेंट्रल पब्लिक सर्विसेज क्लासिफिकेशन, कंट्रोल और अपील रूल, 1965 में संशोधन किया है और जांच के महत्वपूर्ण चरणों और जांच प्रक्रियाओं के लिए समय सीमा का फैसला लिया है.
किस पर लागू होते है ये नियम?
संशोधित नियम कहते हैं कि जांच प्राधिकरण को 6 महीने के अंदर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंप देनी चाहिए. इसमें कहा गया कि हालांकि डिसिप्लिनरी अथॉरिटी के लिखित में अच्छा और पर्याप्त कारण बताए जाने पर अधिकतम 6 महीने का जांच विस्तार दिया जा सकता है.
इससे पहले जांच पूरी करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती थी.
नया नियम अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं और कुछ अन्य श्रेणियों के अधिकारियों को छोड़कर सभी श्रेणी के कर्मचारियों पर लागू होगा.