लोकल कोर्ट ने प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक सदस्य को साल 2011 में रतलाम में पुलिस दल पर जानलेवा हमला करने के मामले में शुक्रवार को दस साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
सेशन्स जज गिरीश दीक्षित ने आरोपी फरहत को पुलिस दल पर हमला करने के आरोप में धारा 307 तथा अवैध हथियार रखने के आरोप में आयुध अधिनियम की धाराओं में दोषी करार देते हुए दस साल की सजा सुनाई.
तीन जून 2011 को एटीएस को सूचना मिली थी कि एटीएस के सिपाही सीताराम की हत्या करने वाले सिमी सदस्य रतलाम में छिपे हुए हैं. सूचना की तस्दीक पर पुलिस का सामना फरहत और जाकिर से हुआ और उन्होंने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें सिपाही शिवप्रसाद की मौत हो गई और एक अन्य सिपाही घायल हो गया.
इसके बाद आरोपी फरहत वहां से भागा और जब उसे पकड़ने की कोशिश की गई तो उसने एएसपी राजेश व्यास के पुलिस दल पर जानलेवा फायर किया. व्यास के कान के पास से निकली और वह बाल बाल बच गए. इसके बाद पुलिस ने फरहत को पकड़ लिया, जबकि जाकिर की बाद में एक मुठभेड़ में मौत हो गई. पुलिस ने भोपाल की विशेष अदालत में मामला सुनवाई के लिए पेश किया.