सिख विरोधी दंगों के एक मामले में गवाह हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा ने जगदीश टाइटलर को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह आरोप अपने लाइ डिटेक्टर टेस्ट के दौरान फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) पर लगाया है. इस संबंध में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर की.
वर्मा का शहर के रोहिणी इलाके में स्थित एक सरकार संचालित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा रहा है.
उन्होंने कड़कड़डूमा अदालत में एक याचिका दायर कर एफएसएल के अधिकारियों पर ‘मिनी ट्रायल’ करने और ‘गलत एवं पक्षपातपूर्ण’ तरीके से काम करने का आरोप लगाया.
वर्मा ने कहा उनसे व्यक्तिगत सवाल पूछे गए हैं
वर्मा ने याचिका में कहा, ‘वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी बेहद पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे थे. वे मौजूदा मामले में आरोपी व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रहे थे. यह चिंता का विषय है.’
उन्होंने दावा किया कि 24 अक्टूबर को दो अधिकारियों ने अलग अलग पूछताछ के दौरान सभी वकीलों को कमरे से बाहर जाने को कहा. इसके बाद उनसे व्यक्तिगत सवाल किए जैसे कि ‘आपके जैसे लोग दो-दो बार शादी क्यों करते हैं? आप टाइटलर के पीछे क्यों पड़े हैं? मुझे यह सब समझ नहीं आया.’
याचिका के अनुसार, ‘रोहिणी स्थित एफएसएल एक सही एवं निष्पक्ष तरीके से लाइ डिटेक्टर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहा है. साथ ही उसका आचरण एवं कार्रवाई बेहद आपत्तिजनक हैं.’
वर्मा ने एफएसएल की ओर से पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए अदालत में एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया दायर करने की मांग की ताकि अधिकृत रूप से पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके.
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद फैला था दंगा
उन्होंने प्रयोगशाला की ओर से 24 अक्टूबर को किए गए पॉलीग्राफ टेस्ट की स्थिति रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने की भी मांग की.
जहां वर्मा का लाई डिटेक्टर टेस्ट किया गया, टाइटलर ने लाइ डिटेक्टर टेस्ट कराने से मना कर दिया. सीबीआई उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में तीन बार क्लीन चिट दे चुकी है. हालांकि अदालत ने एजेंसी को मामले की और जांच करने का निर्देश दिया है.
मामला उत्तर दिल्ली में स्थित गुरूद्वारा पुलबंगश में हुए दंगों से जुड़ा है. यहां 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर को तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी.