view all

शोपियां स्कूल बस पर हमला: ऐसी घटना जिसकी अलगाववादियों ने भी की निंदा

स्कूल बस पर पत्थरबाजी की घटना के बाद रेनबो स्कूल के प्रिंसिपल ने एलान किया कि उन लोगों ने गुरुवार को स्कूल बंद रखने का फैसला किया.

Sameer Yasir

कश्मीर के शोपियां शहर में प्रतिदिन पास के एक गांव केलार से रेनबो इंटनेशनल पब्लिक स्कूल की एक पीली स्कूल बस गांव के बच्चों को स्कूल पहुंचाने आती थी. बुधवार को भी वो ही स्कूल बस 32 बच्चों को लेकर शोपियां जा रही रही थी. बस रास्ते में एक जगह पर बायें मुड़ने से पहले ढलान के पास धीमी हुई उसी समय बस पर चारों ओर से पत्थर बरसने लगे.

दरअसल दक्षिणी कश्मीर के इस संवेदनशील इलाके में, सुरक्षा बलों के द्वारा मार गिराए गए मिलिटेंट कमांडर समीर बट्ट उर्फ टाइगर की मौत के विरोध में हिंसक प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे थे. स्कूल बस के चालक को आशंका थी कि कहीं वो इन प्रदर्शनों के बीच में फंस न जाए. थोड़ी ही देर बाद चालक की आशंका सच साबित हो गई.


रेनबो इंटरनेशनल स्कूल के बस के ड्राईवर बशीर ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि जब वो जवूरा क्रॉसिंग पर पहुंचे तो उन्हें एक तेज आवाज सुनाई दी. बशीर को लगा कि कुछ भारी चीज बस से टकराई है. बशीर को एहसास हो गया कि कुछ अनहोनी हो गयी है. कम से कम छह से सात बच्चे जिनमें से अधिकतर किशोर थे, वो उस इलाके में संदेहास्पद स्थिति में घूम रह थे. सुबह के लगभग सवा नौ बजे थे और उन्हीं में से एक ने एक बड़ा सा पत्थर बस की ओर फेंक दिया था.

10 साल का मासूम रेहान गोरसी ने स्कूल पहुंचने के लिए बस के बायीं ओर बैठने का फैसला किया था. गोरसी को नहीं मालूम था कि वो बिना किसी गलती के पत्थरबाजों का निशाना बन जाएगा. पत्थरबाजों की तरफ से फेंका गया बड़ा सा पत्थर रेहान गोरसी के सिर में लग गया और उसके सिर से खून की धारा बहने लगी. कक्षा 2 में पढ़ने वाले इस छात्र को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और जहां से उसे स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट के लिए श्रीनगर रेफर कर दिया गया.

शोपियां शहर के बीचों बीच स्थित रेनबो इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल सजाद अहमद खान ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि रेहान गोरसी दूसरी पंक्ति में बैठा हुआ था. सजाद के मुताबिक रेहान के पास वाली खिड़की खुली हुई थी ऐसे में पत्थरबाजों की ओर से बस की ओर फेंका गया पत्थर सीधे रोहन के सिर पर लग गया.

बुधवार को पुलवामा और शोपियां की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था. इस संवाददाता ने श्रीनगर से द्रबगाम गांव तक का सफर किया. द्रबगाम गांव समीर अहमद बट्ट उर्फ समीर टाइगर का गांव है जिसे सुरक्षा बलों ने दो दिनों पहले एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. श्रीनगर से द्रबगाम गांव तक की दूरी 40 किलोमीटर से ज्यादा की है लेकिन उन्हें पूरे सफर में केवल 7 गाड़ियां चलती दिखाई दीं. चारों तरफ सड़कें सूनी थी और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा था. विरोध प्रदर्शन वाली जगहों पर प्रदर्शनकारियों को फुसला कर उन्होंने गाड़ी को अपने गंतव्य तक ले जाने में सफलता प्राप्त की.

समीर की मौत के विरोध में हुर्रियत कांफ्रेंस ने घाटी में एक दिन का बंद एलान किया था. लेकिन दक्षिणी कश्मीर के चार जिलों में बुधवार को भी बंद रहा. इलाके की सारी दुकानें,शैक्षणिक संस्थान और व्यापारिक संस्थान पूरी तरह से बंद रहे. बमुश्किल सड़क पर कोई घूमता हुआ दिखाई दे रहा था. हरेक आधा किलोमीटर की दूरी पर कुछ युवा खास करके किशोर सड़कों को पत्थरों और लकड़ी के लट्ठों से जाम लगा कर सड़कों पर खड़े थे. कई इलाकों से पत्थरबाजी की खबर भी मिली थी.

शोपियां शहर में घुसने के लिए जैसे ही रेनबो इंटरनेशनल स्कूल की बस ढलान की ओर बढ़ते हुए जवूरा क्रॉसिंग पर पहुंची उसी समय हमले के लिए घात लगाए कुछ लड़कों ने बस पर हमला कर दिया और पत्थरबाजी शुरू कर दी. हमले में घायल रेहान का इलाज कर रहे एसएमएचएस हॉस्पिटल के डॉक्टर हामिद हुसैन शाह ने बताया कि रेहान की हालत खतरे से बाहर है और उसकी स्थिति स्थिर बनी हुई है. डॉक्टर के मुताबिक रेहान के सिर पर सीधे पत्थर लगने की वजह से उसके स्कल में बोन फ्रैक्चर हो गया है.

डॉक्टर के मुताबिक उसकी चोट ज्यादा गंभीर नहीं है और उसे जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि रेहान को किसी तरह का स्टिच लगाने की जरूरत नहीं पड़ी है लेकिन उसे फ्रैक्चर है. मायूस दिख रहे रेहान के पिता नूर ने बताया कि उसने सुबह में अपने बच्चे को बस स्टाप पर छोड़ा था वो भी इस घटना के महज आधे घंटे पहले. नूर अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे क्योंकि हुर्रियत के बंद के आह्वान के बाद भी स्कूल प्रबंधन ने सामान्य दिनों की तरह से ही स्कूल को खोले रखने का फैसला किया था.

अपने बेटे की स्थिति पर चिंता जताते हुए रेहान के पिता नूर ने बताया कि 2014 से ही उसने अलगाववादियों के बंद के आह्वान के मौकों पर अपने बच्चों के स्कूल जाने से रोक रखा था क्योंकि उस दौरान सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा होता है. लेकिन नूर की परेशानी ये थी कि ऐसा हमेशा मुमकिन नहीं था. अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने की चाहत ने नूर को अपने बेटे को बंद के दौरान भी स्कूल भेजने को विवश किया. नूर सवालिया लहजे में पूछते हैं कि आखिर आप कब तक बच्चों से उसका स्कूल छुड़ाकर घर में बंद रख सकते हैं क्योंकि यहां तो हर हफ्ते हड़ताल और बंद की घोषणा होती है.

इस घटना ने घाटी में बवाल खड़ा कर दिया है. सभी लोगों ने एक स्वर में इस घटना कि निंदा की है. विभिन्न दलों के नेताओं के अलावा अलगाववादी नेताओं ने भी स्कूल बस पर पत्थरों से किए गए हमले की कड़ी निंदा की है. इस घटना की चौतरफा निंदा हो रही है जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है. फेसबुक पर एम गुलजार लिखते हैं, 'इस बात की हम सब लोगों को निंदा करनी चाहिए, सभ्य समाज में इस तरह की घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं. एक स्कूल बस को पत्थरों के द्वारा निशाना बनाया जाना दुखदायी है. कठुआ की भी घटना ऐसी है और मीडिया को भी ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग निष्पक्ष तरीके से करनी चाहिए. इस तरह की मुर्खतापूर्ण घटनाओं में कोई पक्ष और विपक्ष नहीं होता है'.

एक और कश्मीरी रियाज गानी ने इस मामले पर फेसबुक पर लिखा है, 'ये निहायत ही मुखर्तापूर्ण और पागलपन भरी हरकत है. इस तरह से धीरे-धीरे हम खुद ही अपनी मौत मर जाएंगे'.

इस घटना पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ट्वीट किया है. महबूबा ने ट्वीट किया है, 'वो शोपियां में स्कूल बसों पर हमले की खबर से सदमे में हैं और निराश हैं. इस मुर्खतापूर्ण और कायरतापूर्ण घटना को अंजाम देने वाले दोषियों के खिलाफ कानून के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी'.

विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी इस हमले की निंदा की है. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक और मीरवायज उमर फारूक ने भी इस घटना की आलोचना की है. गिलानी ने एक बयान में कहा है, 'अनुशासन ही हमारी शक्ति है और हमें उन लोगों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है'. गिलानी ने कहा कि उनके लोगों को विरोध प्रदर्शन के दौरान परिपक्वता का परिचय देना होगा और अनुशासित होकर इसमें भाग लेना पड़ेगा.

एक तरफ जहां पर स्कूली बच्चों के बसों पर हमले के बाद टीवी चैनलों के प्राइम टाइम पर इससे संबंधित चर्चा हो रही थी वहीं दूसरी तरफ एक और किशोर उमर अहमद की मौत शोपियां जिले में हो गयी. वहां पर स्थानीय लोग सुरक्षा बलों से उस समय उलझ गए जिस समय सुरक्षा बलों की आतंकवादियों के साथ शोपियां जिले और पुलवामा में मुठभेड़ चल रही थी. इस घटना में उमर अहमद समेत 6 अन्य लोग घायल हो गए. शोपियां के तुर्कुवांगम गांव के पास आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. प्रदर्शन के दौरान उन लोगों ने सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी जिसकी वजह से आतंकवादी वहां से भागने में सफल रहे.

स्कूल बस पर पत्थरबाजी की घटना के बाद रेनबो स्कूल के प्रिंसिपल ने एलान किया कि उन लोगों ने गुरुवार को स्कूल बंद रखने का फैसला किया. हालांकि इस बंद को लेकर हुर्रियत ने किसी तरह के हड़ताल या बंद का आह्वान नहीं किया है इसके बावजूद वो बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते.