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मध्य प्रदेश: धुआं है, गुबार है फिर भी पटाखे चलाने के लिए आपका इंतजार है

प्रदेश में प्रदूषण की भयावह स्थिति के बावजूद मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने राज्य में पटाखे जलाकर दिवाली मनाने की बधाइयां दी हैं

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश के कई शहरों में पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा साल भर 2.5 माइक्रोग्राम के स्तर से ऊपर होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा दुनिया में पॉल्यूशन की स्थिति पर एक रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई थी.


इस रिपोर्ट में देश के जिन चार शहरों के नाम शामिल हैं,उनमें सबसे ऊपर राज्य का ग्वालियर शहर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के बाद सरकार के माथे पर कोई शिकन देखने को नहीं मिली. सरकार के लिए एयर पॉल्यूशन घटना-बढ़ना राजनीतिक लाभ का मसला नहीं है.

पॉल्यूशन के घटने से ना मतदाता खुश होता है और न बढ़ने से नाराज होता है. दिल्ली के बाद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में जब पटाखे चलाने पर रोक की बहस चली तो अचानक मध्यप्रदेश की सरकार सक्रिय हो गई. उसने पटाखा प्रेमियों को मध्यप्रदेश आकर पटाखा चलाने का खुला न्यौता दिया है. राज्य के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने ट्वीट कर न्यौता दिया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे रिट्वीट कर गृहमंत्री द्वारा पटाखा प्रेमियों को दिए गए आमंत्रण पर अपनी मोहर लगाई है.

दीपावली पर देश के कुछ क्षेत्रों में पटाखा चलाने पर लगाई गई रोक के बाद राज्य की बीजेपी सरकार को पहले से ही धुंआ और गुबार को झेल रहे शहरों में दीपावली पर पटाखों का शोर राजनीतिक फायदे का सौदा लग रहा है.

पिछली दिवाली में दिल्ली जैसा पॉल्यूशन लेबल था

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक पिछली दीपावली के दौरान भोपाल के नेहरू नगर और शाहजहांनाबाद में पॉल्यूशन वैसे ही बढ़ता हुआ नजर आया, जैसा कभी दिल्ली के आरकेपुरम और पंजाबी बाग में दिखाई दिया था. यहां एयर पॉल्यूशन का उच्चतम स्तर 100 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए, लेकिन शहर के शाहजहांनाबाद में यह 215 और अरेरा कॉलोनी में 193 रिकॉर्ड किया गया था.

भोपाल का शाहजहानाबाद क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. वर्ष 2016 की दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण (नॉइज पॉल्यूशन) औसतन 1.5 गुना तक बढ़ गया था. राज्य के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आकंडे़ इसके उलट हैं. मध्यप्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पिछली दीपावली पर दावा किया था कि पिछले पांच सालों में दीपावली के दौरान एयर-नॉइज पॉल्यूशन वर्ष 2016 की दीपावली में ही सबसे कम था.

भोपाल में एयर पॉल्यूशन तय मानक से भले ही ज्यादा हो लेकिन अभी स्थिति दिल्ली, एनसीआर जैसी नहीं है. यहां आबादी का दबाव भी कम है. एंबीएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक शहर में एयर पॉल्यूशन की स्थिति इसी साल जून से लेकर अक्टूबर तक 51 से 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच ही रही है.

मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन सालों में भोपाल में पीएम-10 न्यूनतम स्तर 75.4 से लेकर अधिकतम 281 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक रहा है. अक्टूबर में पीएम-10 का स्तर आम दिनों में हमीदिया रोड पर 55.6, अरेरा कालोनी में 40.1 और गोविंदपुरा में 53.5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में पीएम-10 के स्तर में कमी आई है. 2013 में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाला क्षेत्र हमीदिया सड़क पर पीएम-10 की मात्रा 281.5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई थी. 2014 में 196.1 और 2015 में 159.2 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई.

यह है गृह मंत्री के क्षेत्र के हाल

पटाखा चलाने के लिए दिल्ली, एनसीआर के निवासियों को मध्यप्रदेश आने का न्यौता देने वाले राज्य के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह के गृह जिले में भी धुंआ और गुबार छाया हुआ है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सीनियर सांइटिस्ट राजेश जैन के अनुसार पीएम 10 टेस्ट में वायु प्रदूषण 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन सागर के रिहायशी इलाकों की हालत औद्योगिक क्षेत्रों से भी ज्यादा खराब है.

शहर के सुभाषनगर और सिदगुवां जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में एयर  पॉल्यूशन 110 से 130 के बीच रहा है. वहीं राज्य के दो जिले छिंदवाड़ा एवं ग्वालियर में एयर पॉल्यूशन की स्थिति खतरे के लाल निशान को पार कर चुकी है. ग्वालियर की एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स जुलाई के पहले सप्ताह के तीन दिन अब तक के उच्चतम स्तर पर रहा था. यह इंडेक्स 500 को छू गया.

इसे बोर्ड ने अति गंभीर/खतरनाक माना है. यहां की हवा में धूल और दूसरे कठोर कण ज्यादा हैं. ये इंडेक्स प्रदेश का अब तक का सबसे ज्यादा है. ग्वालियर के अलावा छिंदवाड़ा के रिहायशी इलाके परासिया रोड पर एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्थिति में है. छिंदवाड़ा में मुल्लाजी पेट्रोल पंप के सामने एयर पॉल्यूशन रेड लाइन के पार है. इस इलाके में पीएम10, पीएम 2.5 का असर ज्यादा है.

पीएम 10 में कणों का साइज 10 माइक्रो मीटर होता है. इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है. यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं. इनमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं. पीएम 10 यह एक तरह से पार्टिकल पॉल्यूशन है. ये ठोस और तरल रूप में हवा में मौजूद रहता है.

ये पीएम 2.5 से ज्यादा जानलेवा है, क्योंकि ये हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं. ऐसे में इनकी जद में रहने वाले लोगों को घुटन का एहसास होता है और शरीर को गहरा नुकसान होता है. ग्वालियर और छिंदवाड़ा कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के प्रभाव वाला क्षेत्र है.

एयर पॉल्यूशन रोकने गंभीर नहीं है सरकार

भोपाल सहित मध्यप्रदेश के अन्य बड़े शहरों में बढ़ते पॉल्यूशन को काबू में लाने के लिए सरकारी तंत्र गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है. भोपाल में अब तक एयर पॉल्यूशन की स्थिति बताने वाले सिस्टम को स्थापित करने की प्रक्रिया अभी फाइलों तक सीमित है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में प्रदूषण की सतत निगरानी के लिए सीएएक्यूएमएस बनाया है.

मप्र को केंद्र से राशि मिल चुकी है, लेकिन राज्य अपने हिस्से की राशि नहीं दे रहा है. बोर्ड की चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. रीता कोरी के मुताबिक सभी रीजनल सेंटर को कम्युनिटी एंड पब्लिक सेक्टर यूनियन (सीपीएसयू) और सोशल कॉर्पोरेट लायबिलिटी (सीएसआर) के तहत यह सस्टिम स्थापित करने हैं. इसके लिए हर शहर में 3-3 स्थानों का चयन कर लिया गया है.

गृह मंत्री के ट्वीट पर समर्थक फोड़ रहे हैं पटाखे

दिल्ली, एनसीआर के लोग भले ही मध्यप्रदेश में पटाखे फोड़ने न आएं, लेकिन गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के ट्वीट के बाद उनके समर्थक पटाखे जरूर फोड़ने लगे हैं. बहस पटाखे फोड़ने से होने वाले एयर और नॉइज पॉल्यूशन के बजाय धार्मिक आधार पर हो रही है. ट्वीट रिट्वीट हो रहा है. ट्रोल हो रहा है.

एक समर्थक ने लिखा कि कृपया पटाखे छोड़े क्योंकि यह त्योहार पटाखों का है. एक रात बारूद की महक से सारे मच्छरों और कई कीड़ों का सफाया हो जाता है. साल भर एयर कंडीशंड रूम में बैठकर ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले कृपया दीपावली पर आतिशबाजी न करने की सलाह न दें. इसके अलावा अन्य कई मैसेज वॉट्सएप और फेसबुक पर चल रहे हैं.