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प्रद्युम्न हत्याकांड: सवाल कई हैं! मामला कुछ और तो नहीं

पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल जो चाकू दिखाया है वह नया है जबकि अशोक का कहना है कि चाकू पुराना था

Prabhakar Thakur

शुक्रवार को रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय के अंदर दूसरी क्लास के छात्र प्रद्युम्न की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद अभिभावकों का गुस्सा भड़क उठा था. इस कांड के सिलसिले में बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस के मुताबिक मामले में आरोपी अशोक कुमार कथित तौर पर यौन हमले के इरादे से किसी छात्र के शौचालय में आने के इंतजार में था. जो पहला छात्र वहां पहुंचा वह प्रद्युम्न थी. आरोपी की बात ना मानने पर उसने कथित तौर पर बच्चे की हत्या कर दी.


वहीं आरोपी के गांव की पंचायत कंडक्टर अशोक कुमार के साथ खड़ी है. पंचायत का कहना है कि अशोक को बेवजह फंसाया जा रहा है. अशोक कुमार की बहन ने स्कूल पर पुलिस को घूस देने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'मेरे भाई को गलत बयान देने के लिए मजबूर किया गया है. उसे बहुत पीटा भी गया है. स्कूल प्रिंसिपल ने पुलिस को घूस दी है.' वहीं आरोपी के पिता ने कहा, 'मेरा बेटा निर्दोष है. उसे फंसाया जा रहा है. ये सब स्कूल के कारण हो रहा है.'

पुलिस ने जो कहानी बताई उस पर सवाल

ऐसे में पुलिस द्वारा बताए जा रहे घटनाक्रम पर सवाल उठाना लाजमी है. प्रद्युम्न के परिवार वालों का कहना है कि जो बताया जा रहा है उसमें कई बातें 'गायब' हैं. आरोपी ने पुलिस और मीडिया के आगे खुद को गुनाहगार बता दिया है पर परिवार वालों को इसमें कोई बड़ी साजिश दिख रही है जिसके चलते उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की है.

सवाल यह भी उठता है कि पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल जो चाकू दिखाया है वह एकदम नया है जबकि अशोक का कहना है कि जो चाकू उसने इस्तेमाल किया वह पुराना था.

इसके अलावा अशोक ने यह भी कहा कि चाकू कई दिनों से बस के टूल बॉक्स में पड़ा था. इसके उलट बस ड्राईवर ने बयान दिया है कि दरअसल टूल बॉक्स में तो चाकू था ही नहीं. उसका कहना है कि टूल बॉक्स में चाकू का कोई काम ही नहीं होता है. न्यूज़ चैनल्स के मुताबिक टूल बॉक्स ड्राईवर की सीट की बगल में ही है. इसके अलावा स्कूल की अन्य बसों के टूल बॉक्सों में भी चाकू नहीं पाया गया है.

अशोक का यह भी कहना है कि घटना के बाद वह स्कूल में ही था. दूसरी ओर स्कूल में काम कर रहे सीसीटीवी कैमरा में वह भागता हुआ दिखाई दे रहा है.

एक सवाल यह भी उठ रहा है कि सुबह 7:55 बजे प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने उसे स्कूल में छोड़ा, इसके बाद उन्हें 8:10 बजे ही स्कूल से घटना के बारे में कॉल आ गया. आखिर स्कूल पहुंचने के बाद इतनी जल्दी कैसे उसकी हत्या हो गई?

स्कूल की बेइंतहा लापरवाही

स्कूल में बस ड्राईवर और कंडक्टर के लिए भी छात्रों का ही बाथरूम होता था जिसे लेकर भी स्कूल की लापरवाही बताई जा रही है. हालांकि आरोपी कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ था पर स्कूल में कई कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ था.

इतने सारे विरोधाभासों से अब तक पेश किए जा रहे पूरे केस पर भरोसा कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं की पूरा मामला कुछ और ही है?

पुलिस जब तक इन बातों का कोई साफ जवाब नहीं दे देती तब तक तो ये सवाल बरकरार रहेंगे.