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जरा सोचिए: अलगाववादियों को आतंकियों से नहीं एनआईए से डर लगता है

एनआईए ने अलगावादियों और टेरर फंडिंग के नेटवर्क को ध्वस्त करने का काम किया है. जाहिर तौर पर तकलीफ तो बढ़ेगी ही

Kinshuk Praval

कश्मीर के अलगवावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासिन मलिक ने एनआईए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के खिलाफ मोर्चा खोला है. ये तीनों अलगाववादी नेता एनआईए की कार्रवाई के विरोध में गिरफ्तारी देंगे. इनका आरोप है कि एनआईए कश्मीर के लोगों का उत्पीड़न कर रही है.

घाटी की सुलगती सियासत में जेल जाने की धमकी राजनीति का नया पैंतरा है. दरअसल कई अलगाववादी नेता इस वक्त एनआईए की गिरफ्त में हैं. एनआईए की उनसे पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे हो चुके हैं. दरअसल घाटी में बिगड़ते हलात, पत्थरबाजी की बढ़ती घटनाओं और लोकल युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने के बाद जब एनआईए ने अपनी जांच तेज की तो टेरर फंडिंग का बड़ा खुलासा हुआ. सीमा पार से न सिर्फ आतंकी आ रहे थे बल्कि आतंकी हमलों के लिए हवाला का पैसा भी आ रहा था.


टेरर फंडिंग के पैसे का दो जगह इस्तेमाल हो रहा था. कुछ पैसा भटके हुए युवाओं को बरगला कर पत्थर फेंकने, सेना पर हमला करने और घाटी में स्कूल और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में किया जा रहा है तो बाकी पैसे अलगाववादियों की तिजोरी में जा रहे थे. एक स्टिंग ऑपरेशन में हुर्रियत कान्फ्रेंस के गिलानी धड़े के नईम खान ने कबूल किया था कि घाटी में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान से पैसा मिलता है. नईम खान को भी एनआईए ने गिरफ्तार किया है.

एनआईए ने टेरर फंडिंग के मामले में 7 अलगाववादियों को गिरफ्तार किया था जिसमे सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश, मीरवाइज़ उमर फारूक के नेतृत्व वाली हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रवक्ता शाहिद उल इस्लाम भी शामिल था.

अपने अलगाववादी नेताओं के जेल में रहने की वजह से अब सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासिन मलिक पर दबाव है. एक तरफ इन्हें डर है कि एनआईए की पूछताछ में कहीं इनके खिलाफ बड़ा सबूत सामने न आ जाए तो वहीं दूसरी तरफ गिरफ्तार नेताओं को छुड़ाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है. यही वजह है कि घाटी में युवाओं के कथित उत्पीड़न की आड़ में एनआईए को मुद्दा बनाने की रणनीति बनाई है.

कश्मीर घाटी में युवा पिछले साल जुलाई से सेना और सुरक्षाबलों पर लगातार पत्थरबाजी कर रहे हैं

कश्मीर जैसे संवेदनशील मामले में एनआईए बहुत फूंक फूंक कर कदम रख रही है. एनआईए सिर्फ एक्शन दिखाने के लिए लोगों को जेल में भरने का काम नहीं करेगी. एनआईए जानती है कि उसकी एक भी गलत गिरफ्तारी  तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग को हल्ला बोल का मौका दे देगी. तभी एनआईए ने गिरफ्तारी से पहले टेरर फंडिंग के नेटवर्क को खंगाला. ये नेटवर्क दिल्ली के हवाला कारोबारियों से लेकर पंजाब और हिमाचल प्रदेश के हवाला ऑपरेटरों तक जुड़ा हुआ था. इस नेटवर्क के पास पाकिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और श्रीलंका के जरिए पैसा आता था. टेरर फंडिंग की जांच में तब बड़ा खुलासा हुआ जब इसके तार अलगाववादियों से जुड़े मिले. जिसके बाद एनआईए ने अलगाववादियों के घर-दफ्तर पर छापे मारकर सारे सबूत ही जुटा लिए. टेरर फंडिंग का पैसा अलगाववादियों के जरिए स्थानीय लोगों में बंटता था जो कि पत्थरबाजी करने और हिंसा फैलाने के काम आता था.

यासीन मलिक और जैश ए मोहम्मद के सरगना हाफिज सईद के बीच फोन की बातचीत को खुफिया एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया था. इस बातचीत में यासीन मलिक पैसे की मांग कर रहा था. अब वही यासीन मलिक जेल जाने को तैयार हैं क्योंकि एनआईए के खिलाफ उनका प्रदर्शन करना मजबूरी है. दरअसल इन अलगाववादियों पर पाकिस्तान की तरफ से भी दबाव है. ये दबाव गिरफ्तार हुए अलगाववादी नेताओं को छुड़ाने का नहीं बल्कि घाटी में माहौल को भड़काने का है. घाटी में माहौल को भड़काने का एक ही तरीका है कि एनआईए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर जेल जाया जाए. तभी इस बार इनकी रणनीति है कि प्रदर्शन में छात्रों और कारोबारियों को भी शामिल किया जाए.

मीरवाइज का आरोप है कि केंद्र सरकार घाटी के नेताओं, कारोबारियों और छात्रों का उत्पीड़न करने के लिए एनआईए का इस्तेमाल कर रही है जबकि इससे पहले मीर वाइज उमर फारूक ने कहा था कि घाटी में एक आतंकवादी को मारोगे तो दस आतंकी पैदा होंगे. लेकिन उनके इस बयान से घाटी की फिजां में कुछ फर्क नहीं पड़ा था.

सवाल ये है कि इन्हीं अलगाववादियों की रैलियों में पाकिस्तान का झंडा फहराया जाता है. इन्हीं के ठिकानों पर लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के लेटर हेड बरामद होते हैं. इन्हीं अलगाववादियों के घर में करोड़ों रुपए कैश बरामद होते हैं. इन्ही अलगाववादियों के स्टिंग सामने आते हैं जिसमें ये पाकिस्तान से पैसे की मांग करते हैं. इन्हीं अलगाववादियों के नाम टेरर फंडिंग में सामने आते हैं. इन्हीं अलगाववादियों के जरिए घाटी में युवाओं को बरगलाने में टेरर फंडिंग के पैसे का इस्तेमाल होता है. ऐसे में ये अलगाववादी एनआईए की कार्रवाई पर कौन से 'उत्पीड़न' का आरोप लगा रहे हैं जो कि खुद घाटी की हिंसा का इस्तेमाल अपनी सियासत के लिये करते आए हैं.