भारत सरकार ने देश के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई सी मोदी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का महानिदेशक नियुक्त किया है. वाई सी मोदी शरद कुमार का स्थान लेंगे जो 30 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं.
वाई सी मोदी गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जांच कमेटी के सदस्य रह चुके हैं. सोमवार को गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने वाईसी मोदी के नाम पर मुहर लगाई.
वाई सी मोदी वर्तमान में सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक हैं. वह सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त एसआईटी का हिस्सा थे, जिसने 2002 के गुजरात दंगों की जांच की और गुलबर्ग सोसाइटी के नरसंहार के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी.
31 मई, 2021 तक NIA चीफ बने रहेंगे वाई सी मोदी
वाई सी मोदी को 2015 में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) का एडिशनल डायरेक्टर बनाया गया था. वाई सी मोदी 31 मई, 2021 को रिटायर होने तक इस पद पर बने रहेंगे.
1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी वाई सी मोदी ऐसे समय में एनआईए के प्रमुख बनने जा रहे हैं, जब कश्मीर के अलगाववादियों की जाने वाली टेरर फंडिंग मामले की जांच चल रही है.
आपको बता दें कि एनआईए के महानिदेशक पद के लिए कई अधिकारियों के नामों की चर्चा चल रही थी. बीएसएफ के डीजी राजेश रंजन, सीआईएसएफ के डीजी ओ पी सिंह और आईटीबीपी के प्रमुख आर के पचणंदा भी एनआईए के महानिदेशक पद की रेस में थे. लेकिन, बाजी वाई सी मोदी के हाथ लगी.
वाई सी मोदी के भाई यशपाल सिंहला भी आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं. सिंहला हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार में डीजीपी थे, लेकिन पिछले साल हिंसक जाट आंदोलन के बाद उनको पद से हटा दिया गया था.
देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शरद कुमार को बार-बार विस्तार दिया गया. क्योंकि, उनके रहते एनआईए ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को क्लीन चिट दे दी थी.
कर्नल पुरोहित और स्वामी असीमानंद सहित अन्य अभियुक्त को भी मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामलों में जमानत शरद कुमार के रहते दिया गया.