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दिल्ली में सीलिंग लोगों के लिए दर्द है और राजनीतिक दलों के लिए श्रेय लूटने का इवेंट

दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां सीलिंग के मुद्दे को भुनाने के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से भी बाज नहीं आ रही हैं. अगर मामला आगामी लोकसभा चुनाव से जुड़ा हो तो इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है.

Ravishankar Singh

दिल्ली में सीलिंग के मुद्दे को हथियाने को लेकर राजनीतिक पार्टियों में जबरदस्त होड़ मची हुई है. दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां सीलिंग के मुद्दे को भुनाने के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से भी बाज नहीं आ रही हैं.

सीलिंग के मुद्दे को शुरुआती दिनों में आम आदमी पार्टी ने ही प्रमुखता से उठाया था. बाद में कांग्रेस और बीजेपी ने इस मुद्दे को पकड़ा लेकिन पिछले कुछ दिनों से सीलिंग का विरोध तेज हो गया है. काफी दिनों के बाद नार्थ-ईस्ट दिल्ली के सांसद और दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सीलिंग का मुद्दा उठा कर दिल्ली की राजनीति को एक फिर से गर्मा दिया है.


मनोज तिवारी ने सीलिंग का ताला तोड़ा था. उसके बाद से ही दिल्ली की राजनीति में हड़कंप मच गया था. आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस तक बीजेपी पर हमलावर हो गई. हालांकि, सीलिंग का ताला तोड़ने पर मनोज तिवारी को कोर्ट का नोटिस भी मिल गया है. जस्टिस मदन बी लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बेंच ने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को 25 सितंबर को कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए पेश होने का निर्देश दिया है. पीठ ने कहा कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि चुने गए प्रतिनिधि कोर्ट के फैसले की अवमानना करते हैं.

सीलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना करने का यह दूसरा मामला है. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी से पहले भी नजफगढ़ जोन के चेयरमैन ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी, जिनको कोर्ट ने तलब कर माफी मंगवाई थी.

इसी साल 30 जून को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीलिंग मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अनधिकृत निर्माण को हटाए जाने के खिलाफ वह कोई 'दादागीरी' बर्दाश्त नहीं करेगी. कोर्ट ने कहा था, 'हमने ऑर्डर पास कर दिए हैं. अब किसी की भी दादागिरी काम नहीं करेगी और न ही हम इसे बर्दाश्त करेंगे.' जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही यह बयान दिया था.

30 जून को ही नजफगढ़ जोन के वार्ड समिति के अध्यक्ष और बीजेपी पार्षद मुकेश सूर्यन की ओर से उनके वकील आरएस सुरी ने सीलिंग की अवहेलना करने पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सूर्यन को एमसीडी इंजीनियरों के फोरम द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर जवाब देने का निर्देश दिया था. वार्ड समिति के अध्यक्ष पर दिल्ली में अनधिकृत निर्माण की सीलिंग कर रहे अधिकारियों को कथित तौर पर धमकाने का आरोप था.

दिल्ली में सीलिंग से जहां एक तरफ कारोबारी वर्ग परेशान नजर आ रहा है तो दूसरी तरफ नेताओं की चिंता भी सीलिंग के कारण बढ़ गई है. अगर बात वोटबैंक से जुड़ी हो तो नेताओं का परेशान होना भी लाजिमी है. बीते बुधवार को ही दिल्ली बीजेपी के एक और कद्दावार नेता और केंद्र सरकार के मंत्री विजय गोयल ने भी सीलिंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बुधवार को गोयल ने कारोबारियों के साथ दिल्ली के त्रिनगर इलाके में सीलिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

विजय गोयल ने इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि कन्वर्जन चार्ज देने के बाद भी दुकानों और मकानों को सील किया जा रहा है. हमलोग जल्द ही इस बारे में मॉनिटरिंग कमेटी से मिलेंगे और एमसीडी अधिकारियों की मनमानी की भी शिकायत करेंगे.

बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने से ही दिल्ली की सारी राजनीतिक पार्टियां सीलिंग की समस्या के निदान के लिए बड़ी-बड़ी बातें और तरह-तरह के फॉर्मूले बताने से नहीं चूकती थीं, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने सीलिंग की समस्या को सही तरीके से नहीं लिया था. अब राजनीतिक पार्टियों को लगने लगा हैं कि सीलिंग का मुद्दा आगामी चुनाव में उनके हार का कारण न बन जाए तो सभी पार्टियां सीलिंग के मुद्दे को भुनाने में लग गई हैं.

आम आदमी पार्टी का कहना है कि कारोबारियों को दिल्ली में सीलिंग से बचाने और बाजारों को बेहतर बनाने के नाम पर बीजेपी शासित एमसीडी ने पिछले 11 महीने में 5 हजार करोड़ रुपए की वसूली की, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन पैसों को दूसरी मद में खर्च करके बड़े घोटाले को अंजाम दिया. व्यापारियों के लिए बनाए गए एस्क्रो अकाउंट को जनरल अकाउंट में बदला गया और पैसों की बंदरबांट की गई, जबकि इन पैसों को दूसरी मद में खर्च किया ही नहीं जा सकता.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे कहते हैं, ‘हम तो इस बात को लेकर कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि बीजेपी शासित एमसीडी दिल्ली के व्यापारियों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. हमने पहले ही कहा था कि सीलिंग के नाम पर व्यापारियों से 3 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा वसूला गया.'

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि मनोज तिवारी या विजय गोयल का सीलिंग के मुद्दे पर आक्रमक रवैया अख्तियार करना दिल्ली में कारोबारियों के गुस्से को कितना कम करेगा? पहले जो दुकान या मकान सील हो चुके हैं उन कारोबारियों के दुख को अभी तक किसी ने भी नहीं समझा है. अब जब चुनाव सामने है तो बीजेपी सहित कई और राजनीतिक पार्टियां उन लोगों के आंदोलन को एक मुद्दा बनाने की तैयारी में है.

सीलिंग को लेकर दिल्ली में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए कांग्रेस पार्टी भी एक्शन में आ गई है. पार्टी का साफ कहना है कि सीलिंग की आड़ में छोटे कारोबारी और गरीब लोगों को सताया जा रहा है. पार्टी का कहना है कि इस मसले पर जल्द ही राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएगी.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री हारुन युसूफ का साफ कहना है कि सीलिंग की आड़ में तीनों एमसीडी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट और मॉनिटरिंग कमेटी की आड़ में एमसीडी लोगों को परेशान कर रही है. कांग्रेस पार्टी के आंदोलन में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं. इसी से घबरा कर बीजेपी नेता भी आंदोलन चलाने लगे हैं. हमारी सरकार ने ही सबसे पहले सीलिंग के मुद्दे पर साल 2007 में संसद में कानून लाया था, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार इस मसले पर कुछ भी नहीं कर रही है.

वहीं कांग्रेस के दूसरे नेता अमरिंदर सिंह लवली कहते हैं, दिल्ली सरकार भी चाहे तो इस समस्या का समाधान निकाल सकती है. दिल्ली सरकार डायरेक्टर ऑफ लोकल बॉडी के माध्यम से सीलिंग का समाधान तलाश सकती है, लेकिन दिल्ली सरकार भी ऐसा नहीं कर रही है. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि इस मसले पर अब राष्ट्रपति हस्तक्षेप करें और लापरवाही बरतने को लेकर तीनों एमसीडी को भंग कर दें.

कांग्रेस पार्टी आगामी 23 सितंबर को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बड़ा आंदोलन करने की बात कर रही है. कांग्रेस पार्टी के द्वारा दिल्ली के सातों सांसदों के घरों का घेराव और पुतला दहन भी करने की योजना है.

वहीं बीजेपी का कहना है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल या उनके मंत्रियों के द्वारा सीलिंग के मुद्दे पर बदलते बयान सामने आने से दिल्ली का माहौल बिगड़ रहा है. अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले दिल्ली की अमर कॉलोनी में जाकर बयान दिया था कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग के मुद्दे पर कोई हल नहीं निकलता है तो वह एक अप्रैल से खुद भी भूख हड़ताल पर बैठेंगे. लेकिन, बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया.

राजनीतिक पार्टियों के द्वारा दिल्ली में किसी खास एक वर्ग को लुभाने के लिए इस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं. इन कारोबारियों का राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक बड़ा वोटबैंक रहा है. इस वोटबैंक पर सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. आम आदमी पार्टी के आने के बाद बीजेपी के इस वोटबैंक में काफी हद तक सेंध लग गई थी. लेकिन, लोकसभा चुनाव में दोबारा से इस वर्ग का साथ बीजेपी को मिला था. बाद में एमसीडी चुनाव में भी इस वर्ग ने बीजेपी को वोट दिया था.

अब बीजेपी से नाराजगी के कारण कांग्रेस पार्टी और आप दोनों की नजर इस वोटबैंक पर नजर है. जबकि, बीजेपी आंदोलन और सीलिंग का ताला तोड़ कर इस वर्ग को अपने साथ से छिटकने से बचाना चाह रही है.

यही कारण है कि इस आक्रोश को राजनीतिक पार्टियां के द्वारा भुनाने के प्रयास बड़े पैमाने पर शुरू हो गए हैं. हालांकि पिछले लगभग साढ़े 10 महीनों से व्यापारी वर्ग को हर तरफ से मायूसी ही मिली है.