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सीलिंग विवाद: एमसीडी कर्मचारियों के सामने क्यों खड़ा हो गया है रोजी-रोटी का संकट?

दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देश पर चल रही सीलिंग की कार्रवाई का असर अब दिल्ली के राजस्व पर भी पड़ने लगा है.

Ravishankar Singh

दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देश पर चल रही सीलिंग की कार्रवाई का असर अब दिल्ली के राजस्व पर भी पड़ने लगा है. सीलिंग की कार्रवाई का असर दिल्ली के तीनों नगर निगमों खासकर दक्षिणी नगर निगम के राजस्व पर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है.

दिल्ली के तीनों नगर निगम के राजस्व में भारी कमी के बाद यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में सफाई कर्मचारियों और दूसरे कर्मचारियों की हालत ज्यादा खराब हो सकती है. दिल्ली सरकार के फंड जारी नहीं करने की वजह से पहले से ही सफाई कर्मचारियों और स्टाफ को वेतन नहीं मिल रहा है. अब सरकार के पास सीलिंग का बहाना आ गया है जिससे एमसीडी कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.


खासकर नॉर्थ एमसीडी और पूर्वी एमसीडी के सामने वित्तीय संकट लगातार गंभीर होता जा रहा है. वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों के द्वारा आंदोलन किए जा रहे हैं. दिल्ली के कुछ इलाकों में हड़ताल भी किए जा रहे हैं. ऐसे में सीलिंग की कार्रवाई का असर इनके वेतन पर भी पड़ सकता है.

आपको बता दें कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के राजस्व में सबसे ज्यादा राजस्व दिल्ली के दक्षिणी नगर निगम से आता है. राजस्व के मामले में अमीर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का हाल सीलिंग के बाद बेहाल हो गया है.

दक्षिणी नगर निगम को जहां पिछले जनवरी महीने में 139 करोड़ रुपए का कन्वर्जन और पार्किग चार्ज जमा हुए थे वहीं फरवरी महीने में यह राशि घटकर 29 करोड़ रुपए ही रह गए हैं. अगर हम बात मार्च महीने की करें तो इसमें भी भारी कमी आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.

गौरतलब है कि सीलिंग की सबसे ज्यादा मार दक्षिणी दिल्ली के इलाकों में पड़ रही है. 22 दिसंबर 2017 से दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी से शुरू हुई सीलिंग की इस कार्रवाई अब पूरे दिल्ली के कारोबारियों में खौफ पैदा कर दिया है.

आपको बता दें कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के राजस्व में नुकसान के दो बड़े कारण सामने आ रहे हैं. पहला, सीलिंग की शुरुआत में कारोबारियों को लगा कि जल्द से जल्द कन्वर्जन और पार्किंग शुल्क जमा करा देने से सीलिंग से राहत मिल जाएगी, लेकिन बाद में कारोबारियों को लगने लगा कि सरकार कोई न कोई रास्ता निकाल लेगी और सीलिंग से राहत मिल जाएगी. इससे व्यापारियों द्वारा शुल्क जमा कराने में सुस्ती बरती गई.

विरोध प्रदर्शन की प्रतीकात्मक की तस्वीर

दूसरा कारण, अगर आप देखें तो पिछले दो महीनों में सीलिंग की ज्यादातर कार्रवाई स्टिल्ट पार्किंग को लेकर हुई है. मार्केट कॉम्प्लेक्स सील होने पर सीधा प्रभाव पार्किंग पर पड़ता है. इसलिए व्यापारी तुरंत ही शुल्क जमा करा देते हैं, लेकिन जब सीलिंग की गाज गिर जाती है तो व्यापारी शुल्क जमा नहीं कराते.

इस बीच दिल्ली के कारोबारियों के द्वारा लगातार उग्र आंदोलन की चेतावनी देने के बावजूद सीलिंग से राहत मिलती नहीं नजर आ रही है. व्यापारियों के कई एसोसिएशनों के द्वारा लगातार धमकी देने के बावजूद सरकार गंभीर नहीं दिख रही है. ऐसे में कहा जा रहा है कि शांतिपूर्ण चल रहा यह आंदोलन अब उग्र हो सकता है.

पिछले कुछ दिनों से सीलिंग को लेकर व्यापारियों में लगातार आक्रोश देखने को मिल रहा है. पिछले लगभग तीन महीनों में व्यापारियों ने अब तक कुल चार दिन दिल्ली बंद का आयोजन किया है. सबसे पहले व्यापारियों ने 23 जनवरी को दिल्ली बंद का आयोजन किया था. फिर बाद में 2 और 3 फरवरी को 48 घंटे का दिल्ली बंद हुआ था. इसके बावजूद सीलिंग पर रोक नहीं लगने के कारण बीते 13 मार्च को दिल्ली बंद का सफल आयोजन किया गया.

गौरतलब है कि दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही है. दिल्ली की तीनों ही एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था, ‘दिल्ली में अतिक्रमण का जाल फैलता ही जा रहा है. अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो हालात और भी ज्यादा खराब हो जाएंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई. ये कमेटी ही अपनी देखरेख में सीलिंग की कार्रवाई को अंजाम दे रही है.’

आपको बता दें कि आखिर दिल्ली में सीलिंग की नौबत क्यों आई? एमसीडी का कहना है, 'जब आप किसी भी प्रॉपर्टी को रेसिडेंशियल से कॉमर्शियल में बदलते हैं तो एक तय फीस सरकार को देनी होती है. अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो आप सीलिंग के दायरे में आएंगे. आपने सरकारी जमीन घेरकर निर्माण कर लिया है, अपार्टमेंट का निर्माण करते वक्त नियमों का पालन नहीं किया है. तय मंजिल से ज्यादा मंजिल की बिल्डिंग बना ली है. सड़क पर अतिक्रमण कर लिया है तो इस कारण से भी आप पर सीलिंग की कार्रवाई की जा सकती है.’

पिछले कुछ महीनों से सीलिंग को लेकर चारों तरफ कोहराम मचने के बाद दिल्ली वालों को सीलिंग की कार्रवाई से राहत दिलाने के लिए डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे के तहत डीडीए ने मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसके बाद सीलिंग की कार्रवाई में और तेजी आ गई है.

कुलमिलाकर कह सकते हैं कि सीलिंग को लेकर दिल्ली की राजनीति में लगातार गर्मी बरकरार है. मंगलवार को सीलिंग के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी और बीजेपी पर मिलीभगत का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने कहा था कि दोनों पार्टियां तू-तू और मैं-मैं बंद कर समस्या का तत्काल समाधान निकालना चाहिए.

राहुल गांधी के इस आरोप के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी से संसद के मौजूदा सत्र में सीलिंग के मुद्दे को उठाने और बीजेपी पर दबाव की बात कही थी. यानी, सीलिंग को लेकर दिल्ली की राजनीति अभी कुछ दिन और उफान पर रहने वाली है.