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दिल्ली का बॉस कौन: सुप्रीम कोर्ट के जजों की ये रही है दलील

जस्ट‍िस चंद्रचूड़ ने कहा था कि जनता ने जिस सरकार को चुना है, उस सरकार के फैसलों को एलजी की ओर से रोकना सही नहीं मान सकते

FP Staff

पिछले साल नवंबर में जब इस मामले पर सुनवाई हुई तो दिल्ली सरकार के समर्थन में जस्ट‍िस चंद्रचूड़ ने कहा था कि जनता ने जिस सरकार को चुना है, उस सरकार के फैसलों को एलजी की ओर से रोकना सही नहीं मान सकते. जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार को भी नसीहत दी थी कि उसे अपनी हदों में रहकर ही काम करना चाहिए.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा था कि राजकाज, पुलिस और जमीन का मसला दिल्ली सरकार के पास नहीं हैं. इन पर केंद्र का अधिकार है. चीफ जस्ट‍िस दीपक मिश्रा भी इस केस में अपनी राय दे चुके हैं. सीजेआई मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में कामकाज के कायदे-कानून पहले ही बने हुए हैं. सरकार तो बस उन्हें लागू करती है. जहां नियम नहीं है, वहां दिल्ली सरकार नियम बना सकती है लेकिन केंद्र यानी राष्ट्रपति की मंजूरी लेने के बाद.


तब सुनवाई के दौरान इस मामले में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने राज्य सरकार का पुरजोरी से पक्ष रखा था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार को संविधान के अनुच्छेद 239A के तहत दिल्ली के लिए कानून बनाने का अधिकार है. एलजी की मदद और सलाह के लिए कैबिनेट है. कैबिनेट की सलाह एलजी को माननी होती है.