सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को हुई शोपियां फायरिंग मामले में सेना के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत का यह फैसला मेजर आदित्य कुमार के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा ले रहे सुरक्षाबलों के लिए भी राहत लेकर आया है.
27 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में भड़की हिंसा और विरोध-प्रदर्शन के बाद सेना ने फायरिंग की थी. इस घटना में तीन कश्मीरी युवकों की गोली लगने से मौत हो गई थी.
शोपियां फायरिंग घटना में अब तक क्या-क्या हुआ
- जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में एक हिंसक भीड़ पर सेना ने फायरिंग की जिसमें दो प्रदर्शनकारियों की गोली लगने से मौत हो गई. मारे गए दोनों युवकों की पहचान जावेद अहमद भट और सुहैल जाविद लोन के रूप में हुई. जबकि तीसरे युवक की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
- मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए.
- घटना से गुस्साए लोगों ने दोनों युवाओं के शव को पाकिस्तान के झंडे में लपेटकर उनके पैतृक गांव में दफन किया गया.
- बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना के खिलाफ केस दर्ज किया. एफआईआर में सेना की 10 गढ़वाल यूनिट का जिक्र किया गया जिसका नेतृत्व मेजर आदित्य कर रहे थे. धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) और 336 (जन-जीवन को खतरे में डालना) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया.
- राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एफआईआर में नाम आने वाले जवानों को गिरफ्तार किए जाने की मांग की
- इसपर सेना ने सफाई देते हुए कहा कि उसने आत्मरक्षा में फायरिंग की. हिंसक भीड़ ने एक घायल जेसीओ पर हमला कर दिया साथ ही सेना के वाहनों को भी आग लगाने का प्रयास किया.
- सेना ने एक जवाबी एफआईआर दर्ज कराया और कहा कि उसने केवल अपनी आत्मरक्षा और अपने घायल 7 जवानों की जान बचाने के लिए ही फायरिंग की.
- मेजर आदित्य कुमार के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर कहा था कि सेना के खिलाफ एफआईआर से कश्मीर में आतंकवाद के विरुद्ध लड़ रहे सैनिकों और जवानों के मनोबल पर असर पड़ेगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर रोक लगा दी.