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Aadhaar Verdict: जानिए आधार का अब तक सफर कैसा रहा?

आधार की शुरुआत कैसे हुई? कैसे इसके खिलाफ पीआईएल की बाढ़ आ गई? आधार से जुड़ा हर फैसला और हर केस पर डालिए एक नजर

FP Staff

आधार को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. आधार को कोर्ट ने संवैधानिक रूप से वैध बताया है. आधार पर कोर्ट में चला ये केस अब तक का दूसरा सबसे लंबा केस है तो आइए आधार के कोर्ट के इस सफर पर डालते हैं नजर. जानते हैं कि आधार की शुरुआत कैसे हुई? कैसे इसके खिलाफ पीआईएल की बाढ़ आ गई? पढ़िए, आधार से जुड़ा हर फैसला और हर केस-

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सरकार, 2009-10

28 जनवरी, 2009: प्लानिंग कमीशन ने UIDAI पर नोटिफिकेशन जारी किया.

सितंबर 2010: रूरल महाराष्ट्र में प्रोग्राम लॉन्च

2010-2011: नेशनल आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल, 2010 पेश किया गया. बाद में इसे वित्त विभाग की संसदीय समिति को सौंप दिया गया. इस समिति की रिपोर्ट में निजता और संवेदनशीलता जैसे अहम मुद्दे उठाए गए.

कोर्ट, 2012-13

30 नवंबर, 2012 : रिटायर्ड जज के एस पुत्तास्वामी के साथ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल किया.

23 सितंबर, 2013: दो जजों की बेंच ने फैसला दिया कि सभी मामलों पर सुनवाई होगी.

26 नवंबर, 2013: बेंच ने आदेश दिया कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इसमें पक्षकार होंगे.

बिल पैसेज, 2016

3 मार्च, 2016: आधार बिल 2016 में लोकसभा में पेश किया गया. इस बिल के जरिए सरकारी योजनाओं में सब्सिडी देने का मामल जुड़ा था. इसे राज्य सभा में पेश नहीं किया गया. बल्कि जल्दीबाजी में मनी बिल के तौर पर पास करा लिया गया.

10 मई, 2016: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आधार को मनी बिल के तौर पर पास कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

21 अक्टूबर, 2016: आधार एक्ट की वैधता पर एसजी वोमबातकेरे (Vombatkere) और भारत सरकार के बीच केस शुरू.

लिंकेज रूल्स, 2017

31 मार्च: सरकार ने इनकम टैक्स की धारा 139AA पेश किया. इसके मुताबिक, रिटर्न फाइल करने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य बना दिया गया.

1 जून: बैंक खाता खुलवाने के लिए और 50,000 रुपए से ज्यादा बड़ी रकम के लेनदेन के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया.

9 जून: दो जजों की बेंच ने इनकम टैक्स की धारा 139AA बरकरार रखा. हालांकि जिनके पास आधार कार्ड नहीं था उनके पैन कार्ड को कुछ समय दिया गया ताकि वह अपना आधार बनवा लें.

प्राइवेसी का मुद्दा 

24 अगस्त, 2017: 9 जजों की बेंच ने अपने फैसले में निजता के अधिकार को फंडामेंटल्स राइट माना.

17 जनवरी, 2018: पांच जजों की बेंच ने आधार मामले में सुनवाई शुरू की.

10 मई: 38 दिनों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.