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विधानसभा भंग होने के बाद बड़ा फैसला, पब्लिक सेक्टर के दायरे में आया J&K बैंक

यह बैंक अब राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट एक्ट, चीफ विजिलैंस कमिश्नर गाइडलाइंस और स्टेट लेजिस्लेटर के दायरे में आ गया है

FP Staff

जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद जम्मू एंड कश्मीर बैंक के मामले में एक बड़ा फैसला लिया गया है. न्यूज 18 की खबर के अनुसार आधिकारिक बयान के मुताबिक यह बैंक अब राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट एक्ट, चीफ विजिलैंस कमिश्नर गाइडलाइंस और स्टेट लेजिस्लेटर के दायरे में आ गया है. एक अधिकारी ने कहा कि गुरुवार को राज्यपाल सत्य पाल मलिक की अध्यक्षता में हुई स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव काउंसिल की मीटिंग में जेएंडके बैंक के साथ पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग की तरह व्यवहार किए जाने को मंजूरी दे दी गई.

एसएसी ने जम्मू एंड कश्मीर आरटीआई एक्ट, 2009 के प्रावधान बैंक जैसे अन्य पीएसयू पर लागू होंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा बैंक को सीवीसी के दिशानिर्देशों का भी पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि अन्य पीएसयू की तरह जेएंडके बैंक स्टेट लेजिस्लेटर के प्रति जवाबदेह होगा. उन्होने कहा कि अब बैंक की एनुअल रिपोर्ट राज्य वित्त विभाग के माध्यम से स्टेट लेजिस्लेटर के सामने रखी जाएगी. बता है कि जेएंडके बैंक देश का ऐसा अकेला सरकार प्रवर्तित बैंक है, जिसमें जम्मू कश्मीर सरकार की 59.3 फीसदी हिस्सेदारी है. अधिकारी के मुताबिक बड़ी शेयरहोल्डर होने के नाते सरकार का मानना है कि जेएंडके बैंक का कैरेक्टर पीएसयू की तरह होना चाहिए, जो सामान्य निगरानी से संबंधित है. एसएसी के फैसला का उद्देश्य बैंक मैनेजमेंट की रोजाना गतिविधियों पर नजर रखना नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मजबूती देना है.