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1984 Riots: कई वर्षों से सिख दंगों के पीड़ितों को मुफ्त में न्याय दिला रहे हैं एचएस फुल्का

एक दौर वह भी आया जब दिल्ली बार काउंसिल ने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों का केस लड़ने से रोक दिया था

FP Staff

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. एचएस फुल्का और मनजिंदर सिंह सिरसा ने सज्जन कुमार के दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर जश्न मनाया. बता दें कि फुल्का सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और कई ट्रायल कोर्ट में चल रहे मुकदमों में पीड़ित सिखों का पक्ष रख रहे हैं. फुल्का, आम आदमी पार्टी के नेता हैं.

इतना ही नहीं वे पिछले करीब 30 सालों से लगातार पहले एडवोकेट और फिर सीनियर एडवोकेट के तौर पर सिखों का पक्ष रखते आ रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कोई फीस भी नहीं ली है.


एक दौर वह भी आया जब दिल्ली बार काउंसिल ने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों का केस लड़ने से रोक दिया था. इसका कारण यह बताया गया था कि वे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और इस नाते एक लाभ के पद पर हैं तो उन्होंने अपनी कैबिनेट रैंक के पद से इस्तीफा दे दिया था. और दिल्ली वापस लौट आए थे. ताकि वे दंगा पीड़ितों के केस लड़ सकें.

आम आदमी पार्टी ने फुल्का को पंजाब में बनाया था विपक्ष का नेता

फुल्का ने 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. हालांकि उसमें उनकी हार हुई थी. उन्होंने इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनावों में भी जीत हासिल की थी. इन चुनावों में 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 20 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी थी. और उसने एस एच फुल्का को विपक्ष का नेता बनाया था.

जस्टिस नरूला कमेटी के मेंबर सेक्रेट्री के तौर पर भी उन्होंने सेवाएं दी हैं. इस कमेटी का गठन 1993 में नरसंहार की जांच के लिए किया गया था. जनवरी, 2001 में उन्हें केंद्र सरकार के लिए केंद्र सरकार का काउंसल बना दिया गया था. फुल्का को एक ऐसे वकील के तौर पर जाना जाता है जो अगर जान जाए कि कोई क्लाइंट गलत है तो वह उसका केस नहीं लेते हैं.