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उन महिलाओं का क्या हुआ जो सबरीमाला से नाकाम होकर लौटी थीं

सबरीमाला में विरोध प्रदर्शन झेल रही महिलाएं जब अपने घर लौटीं तो उन्हें एक नई मुश्किलों का सामना करना पड़ा

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सबरीमाल में महिलाओं ने दाखिल होने का प्रयास किया. पिछले हफ्ते दो महिलाओं ने पुलिस सुरक्षा में प्रदर्शनकारियों को चकमा देते हुए रात के अंधेरे में अयप्पा स्वामी के दर्शन कर लिए. इससे पहले भी कुछ महिलाओं ने अयप्पा के दर्शन का प्रयास किया था लेकिन उन्हें नाकामी मिली. मंदिर के बाहर उन्हें हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा था. लेकिन वापस अपने घर लौटने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं. ना उनके खिलाफ प्रदर्शन का जोर कम हुआ है. बस बदला है तो तरीका.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अपने समाज में कुछ ऐसे ही विरोध-प्रदर्शन से 43 साल की दलित एक्टिविस्ट बिंदू थनकम कल्याणी जूझ रही हैं. पिछले साल अक्टूबर में वह अयप्पा के दर्शन के लिए गईं थीं. लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. उनका कहना है कि दक्षिणपंथी लोगों के दबाव में उनकी 11 साल की बेटी को स्कूल में दाखिल नहीं मिल पा रहा है. कल्याणी पलक्कड़ जिले के सरकारी स्कूल अंग्रेजी पढ़ाती हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने कुछ दिनों पहले विद्या वनम स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर से बात की. वे मेरी बेटी को एडमिशन देना चाहते थे. हालांकि जब मैं वहां अपनी बेटी के साथ गई तो स्कूल के बाहर 60 लोग थे.' उन्होंने कहा, शुरुआत में मुझे यह समझ नहीं आया कि ये लोग क्यों आए हैं. कल्याणी ने कहा, 'मुझे ऐसे किसी विरोध की उम्मीद नहीं थी. मुझे बाद में यह अहसास हुआ कि ये लोग मेरा और मेरी बेटी का विरोध करने आए थे.'


कल्याणी ने आगे कहा, मुझे लगता है कि स्कूल अथॉरिटी मेरी बेटी को एडमिशन देना चाहते हैं लेकिन प्रदर्शनकारियों की वजह से उन्होंने एडमिशन नहीं दिया. स्कूल को यह डर है कि मेरी बेटी को एडमिशन देने पर वह स्कूल के दूसरे बच्चों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. स्कूल में करीब 300 बच्चे हैं. उन्होंने कहा, स्कूल उन बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेरी बेटी को एडमिशन नहीं देना चाहता. वैसे प्रिंसिपल ने कहा, 'एकबार सबरीमाला का विरोध ठंडा पड़ने पर वह एडमिशन पर दोबारा बातचीत कर सकते हैं.'