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S-400 मिसाइल डील पर आज होगा करार, जानिए क्या है इसकी खासियत

राष्ट्रपति पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच चुके हैं. उनके दौरे का सबसे अहम दिन आज है क्योंकि दोनों देश एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली सौदे को अंतिम रूप दे सकते हैं

FP Staff

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंच चुके हैं. उनके दौरे का सबसे अहम दिन आज है क्योंकि दोनों देश एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली सौदे को अंतिम रूप दे सकते हैं. पुतिन के इस दौरे पर अमेरिका भी नजर रखे हुए हैं और इस सौदे को लेकर पूरी दुनिया की नजर भारत पर है.

पुतिन के भारत पहुंचने के ठीक पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को रूस से किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद-फरोख्त नहीं करने की सलाह दी है. इसके साथ ही यह संकेत भी दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है.


क्यों खास है एस-400

एस-400 मिसाइल सिस्टम को नाटो देशों में एसए-21 ग्रोलर के नाम से जानते हैं. इसे रूस ने बनाया है और इसके जरिए लंबी दूरी का निशाना साधा जा सकता है. इसका सबसे पहले प्रयोग 2007 में हुआ था. यह एस-300 को अपडेट करके बनाया गया है.

भारत और रूस के बीच इस मिसाइल सौदे के बारे में 2015 से बातचीत जारी है. यह मिसाइल सिस्टम इतना बेहतरीन है कि दुनिया के कई देश इसे खरीदना चाहते हैं. इसकी सामरिक क्षमता कई सिस्टम अपडेट होने की वजह से बहुत मजबूत है और पूरी दुनिया में इसकी बहुत डिमांड है.

इसकी खासियत यह है कि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है और इसकी मारक क्षमता अचूक है. अगर रेंज की बात करें तो 400 किलोमीटर के दायरे में एक साथ कई मिसाइलों और लड़ाकू विमानों को इसके जरिए ध्वस्त किया जा सकता है.

इसके द्वारा 100 हवाई खतरों को एक साथ भांपा जा सकता है. भारत तीसरा देश है जिसके पास यह डील होने के बाद एस 400 मिसाइल सिस्टम होगा. तुर्की और चीन पहले ही रूस के साथ डील कर चुका है. अब सऊदी अरब भी रूस से इस मिसाइल सिस्टम को खरीदना चाहता है.

भारत के पास इस मिसाइल सिस्टम के होने से देश की रक्षा क्षमता बढ़ जाएगी और चीन-पाकिस्तान की मिसाइलों से बचाव का इंतजाम हो सकेगा क्योंकि चीन पहले ही रूस के साथ यह सौदा कर चुका है और पाकिस्तान ने भारत की रूस के साथ होने वाली मिसाइल डील पर आपत्ति जताई थी.

बीजिंग ने मॉस्को के साथ 2015 में एस-400 सिस्टम की 6 बटालियन खरीदने का सौदा किया था जिसकी डिलीवरी जनवरी 2018 से शुरू हो गई थी. इस डील की वजह से चीन गेमचेंजर की भूमिका में आ रहा था लेकिन भारत के पास मिसाइल रेंज के मामले में कोई विकल्प तलाशने की जरूरत थी. क्योंकि युद्ध के मामले में एस-400 एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

मोदी ने रूसी भाषा में ट्वीट कर किया स्वागत

इस अहम सौदे से पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन के भारत आगमन पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वागत किया. पीएम मोदी ने आधिकारिक बैठक से पहले पुतिन के लिए व्यक्तिगत रात्रिभोज का आयोजन किया था और पुतिन के भारत पहुंचने पर रूसी भाषा में ट्वीट भी किया.