रायन इंटरनेशनल स्कूल में हुई सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न की हत्या के मामले में जिला प्रशासन की तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने भी स्कूल प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. बताया गया है कि स्कूल की सुरक्षा में भारी चूक थी.
किसी का वेरीफिकेशन नहीं हुआ
पता चला है कि नौकरी पर रखने से पहले स्कूल ने किसी का भी पुलिस वेरीफिकेशन नहीं करवाया था. डीसी की ओर से गठित जांच कमेटी ने पाया है कि किसी भी गार्ड, ड्राइवर या कंडक्टर का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं है. जबकि नियमों के मुताबिक पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी है.
सुरक्षा में लापरवाही
दूसरी बड़ी लापरवाही यह है कि स्कूल के मुख्य गेट से करीब दो सौ मीटर आगे चारदीवारी नहीं है. ऐसे में वहां से कोई भी आ जा सकता है. इस सुरक्षा चूक की वजह से कोई भी व्यक्ति अंदर आकर वारदात को अंजाम दे सकता है.
तीसरी बड़ी लापरवाही यह है कि स्कूल के ग्राउंड फ्लोर पर बच्चों, कर्मचारियों और अध्यापकों के लिए कॉमन टॉयलेट का इंतजाम था. जबकि बच्चों के लिए अलग टॉयलेट होना चाहिए. ड्राइवर, कंडक्टर भी उसी में जाते थे. सवाल यह है कि जब इस स्कूल में इतनी मोटी फीस लगती है तो यह लापरवाही क्यों की गई.
सीसीटीवी कैमरे के एंगल सही नहीं
टीम ने पाया कि सुरक्षा की खानापूर्ति के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन उसका एंगल और जगह सही नहीं है. सभी प्रवेश और निकास पर सीसीटीवी कैमरा वाइड एंगल पर नहीं है. ऐसे में सीसीटीवी कैमरों से बचकर निकला जा सकता है. स्टाफ अपने पास क्या लेकर आ रहा है इसे जांचने का कोई इंतजाम नहीं था.
आरटीआई एक्टिविस्ट का क्या कहना है
गुड़गांव के आरटीआई एक्टिविस्ट अभय जैन कहते हैं कि स्कूलों का लक्ष्य किसी भी तरह से सिर्फ पैसा कमाना है. उन्हें न बच्चों की सुरक्षा से मतलब है और न अभिभावकों की परेशानी से. इतने बड़े स्कूल में सुरक्षा से समझौता क्यों किया गया, यह समझ से परे है.
(साभार न्यूज 18)