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संघ की प्रार्थना जो पहले मराठी में थी फिर संस्कृत को क्यों चुना गया?

प्रार्थना में बदलाव का प्रारूप और रचना फरवरी 1939 में नागपुर के पास सिन्दी में हुई बैठक में तैयार किया गया

FP Staff

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी RSS की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी. संघ ने गुरुवार को अपना 93वां स्थापना दिवस मनाया. इस मौके पर नागपुर में पथ संचलन किया गया.

वैसे तो संघ की पहचान अपने विचारों से होती है, लेकिन संघ की प्रार्थना भी है जिससे लोग उसे पहचानते हैं. आज संघ की प्रार्थना से जुड़ी कुछ बातों पर चर्चा करेंगे. संघ की यह प्रार्थना स्थापना के 14 सालों बाद तय की गई थी. पहले संघ की प्रार्थना मराठी और हिंदी में होती थी, लेकिन संघ का विस्तार होता जा रहा था. संगठन धीरे-धीरे पूरे देश में अपनी जड़ें जमा रहा था और इसके साथ उसकी प्रार्थना को भी तय करने का समय आ गया था.


प्रार्थना में बदलाव का प्रारूप और रचना फरवरी 1939 में नागपुर के पास सिन्दी में हुई बैठक में तैयार किया गया. प्रार्थना को तय करने के लिए जो बैठक हुई उसमें आद्य सरसंघचालक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार, गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर), बालासाहब देवरस, अप्पाजी जोशी और नानासाहब टालाटुले शामिल थे. इसमें तय हुआ कि अब संघ की प्रार्थना हिंदी और मराठी में होंगी. पुरानी प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद किया गया और कुछ संशोधन के साथ इसे तय किया गया.

प्रार्थना का संस्कृत में रूपांतरण नागपुर के नरहरि नारायण भिड़े ने किया. सबसे पहले 23 अप्रैल 1940 को पुणे के संघ शिक्षा वर्ग में यादव राव जोशी ने इसे गाया था. तब से लेकर आजतक संघ में यही भाषा गाई जाती है.