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पहले जत्थे के जाते ही भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों को करना पड़ रहा है नफरत और डर का सामना

हाल ही में मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी के अध्यक्ष ने भी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की बात कही थी

FP Staff

जैसे ही टीवी चैनलों ने दिखाया कि भारत से सात रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजा जा रहा है. वैसे ही भारत में रहने वाले करीब 40,000 रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच भय का माहौल पसर गया. उन्हें डर सताने लगा कि उन्हें वापस वहीं भेजा जा सकता है जहां उनको प्रताड़ित किया जाता था. वहीं भारत में उन्हें नफरत का सामना भी करना पड़ रहा है.

लगभग 16,500 शरणार्थियों को यूएनएचसीआर द्वारा शरणार्थियों के पहचान पत्र जारी किए गए हैं. जो उन्हें 'उत्पीड़न, मनमानी गिरफ्तारी, रोकथाम और निर्वासन से बचाता है.' हालांकि भारत ने इन कार्ड्स को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. साथ ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 'निर्वासित करने के सिद्धांतों' के उल्लंघन संबंधित नियम को भी खारिज कर दिया है. जिसके तहत शरणार्थियों को ऐसे स्थान पर नहीं भेजा जाना चाहिए जहां उन्हें खतरे का सामना करना पड़ सकता है.


अमित शाह ने कहा था एक भी अवैध प्रवासी को नहीं रहने देंगे

घरेलू मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता भरत भूषण बाबू ने कहा, 'कोई भी जिसने वैध कानूनी परमिट के बिना देश में प्रवेश किया है, उसे अवैध माना जाएगा. 'कानून के मुताबिक, अवैध प्रवासी को वापस भेजा जाएगा.' इसी के साथ हाल ही में मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी के अध्यक्ष ने भी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है तो एक भी अवैध प्रवासी को देश में नहीं रहने देगी.

इन सब बातों और बयानों से रोहिंग्या शरणार्थियों को डर सता रहा है कि उन्हें भी देश से निकाला जा सकता है. इसी के साथ उन्हें नफरत का सामना भी करना पड़ रहा है. न्यूज18 की खबर के मुताबिक भारत में रोहिंग्या की सबसे ज्यादा आबादी जम्मू-कश्मीर में रहती है. यहां स्थानीय लोग उन पर आतंकियों से जुड़े होने का भी आरोप लगा रहे हैं.