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मनी लॉन्ड्रिंग: रॉबर्ट वाड्रा ने दायर की अग्रिम जमानत याचिका, कहा- मुझे फंसाया जा रहा

रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा है कि उन्हें जानबूझकर कर निशाना बनाया जा रहा है और झूठे मुकदमे चलाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि ये सब राजनीति से प्रेरित है

FP Staff

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate- ED) द्वारा दर्ज धन शोधन (Money Laundering) के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया.

रॉबर्ट वाड्रा के वकील ने पुष्टि की कि उन्होंने उस मामले में अग्रिम जमानत मांगी है जिसमें उनके करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा को अदालत ने 6 फरवरी तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था. वाड्रा की अग्रिम जमानत की अर्जी पर अदालत में आज यानी शनिवार को सुनवाई होने की संभावना है.


रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा है कि उन्हें जानबूझकर कर निशाना बनाया जा रहा है और झूठे मुकदमे चलाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि ये सब राजनीति से प्रेरित है. वाड्रा ने कहा कि वे कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं.

लंदन से जुड़ा है मामले का तार

यह मामला लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर पर स्थित एक संपत्ति की खरीद में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से संबंधित है. इसे 19 लाख पाउंड में खरीदा गया था और इसका स्वामित्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा के पास है.

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 19 जनवरी को अदालत को बताया था कि अरोड़ा जांच में सहयोग कर रहे हैं. अरोड़ा ने पहले अदालत में आरोप लगाया था कि एनडीए सरकार ने 'राजनीतिक प्रतिशोध' के तहत उन्हें इस मुकदमे में फंसाया है.

हालांकि, ईडी ने इन आरोपों का खारिज कर दिया था और कहा था, 'क्या किसी भी अधिकारी को किसी भी राजनीतिक रूप से बड़े व्यक्ति की जांच नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसे राजनीतिक प्रतिशोध कहा जाएगा?'

जांच एजेंसी ने अदालत को बताया था कि भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी के खिलाफ आयकर विभाग काला धन अधिनियम एवं कर कानून (Black Money Act and Tax Law) के तहत जांच कर रहा है. इसी दौरान अरोड़ा की भूमिका सामने आई और इसके आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था.

ये है पूरा मामला

यह आरोप लगाया गया था कि लंदन स्थित संपत्ति को 19 लाख पाउंड में भंडारी ने खरीदा था और 2010 में इसे इतनी ही राशि में बेच दिया गया जबकि इसके नवीकरण पर लगभग 65,900 पाउंड खर्च किया गया था.

ईडी ने अदालत को बताया था, 'यह इस तथ्य पर विश्वास दिलाता है कि भंडारी संपत्ति का वास्तविक मालिक नहीं था, बल्कि वाड्रा के पास इसका स्वामित्व था, जो इसके नवीकरण पर खर्च कर रहे थे.'

ईडी ने आरोप लगाया था कि अरोड़ा, वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के एक कर्मचारी हैं. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि अरोड़ा को वाड्रा की विदेश में अघोषित संपत्ति के बारे में पता था और वह धन की व्यवस्था करने में सहायक था.

(इनपुट भाषा से)