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हवा में जहर: दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में सांस के मरीजों की बढ़ने लगी है तादाद

सांस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दिल्ली के कई निजी अस्पतालों ने ओपीडी टाइमिंग बढ़ा दी है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को सांस के मरीजों के लिए एक विशेष एडवायजरी जारी की है.

Ravishankar Singh

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में पिछले तीन-चार दिनों में बेतहाशा तेजी आई है. सांस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दिल्ली के कई निजी अस्पतालों ने ओपीडी टाइमिंग बढ़ा दी है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों को सांस के मरीजों के लिए एक विशेष एडवायजरी जारी की है.

बुधवार को भी दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल खतरनाक स्तर पर बना रहा. वायु के खतरनाक स्तर को देखते हुए दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.


दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल में प्रोफेसर डॉ. नरेश कुमार फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए इस मौसम में खासकर सांस के मरीजों को विशेष ख्याल रखना पड़ता है. पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में काफी तेजी आई है. सांस के मरीजों को इस मौसम में काफी संभल कर रहना पड़ता है. इस मौसम में सांस के मरीजों का हालत ज्यादा खराब हो जाती है. उन मरीजों के लिए हमलोग या तो दवा का डोज बढ़ाते हैं या फिर अस्पताल में भर्ती कर लेते हैं.'

डॉ. नरेश कहते हैं, 'जो सांस के मरीज नहीं भी होते हैं उनको भी इस मौसम में सांस लेने में दिक्कत होती है और सीने में खिंचाव महसूस होता है. ऐसे में उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इस मौसम में सांस के मरीजों को दवाई बिल्कुल नहीं छोड़नी चाहिए.’

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर की दमघोंटू हवा से बुधवार की रात हुई हल्की बारिश ने भी राहत नहीं पहुंचाई. बुधवार सुबह से एक बार फिर से दिल्लीवालों को सांस लेने में दिक्कतें आनी शुरू हो गईं.

इधर बुधवार को पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर दिल्ली की सिविक एजेंसियों से कई दौर की बैठकें की.

ऐसा माना जा रहा है कि ईपीसीए चेयरमैन भूरे लाल यादव गुरुवार को प्रदूषण को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं. दो दिन पहले ही भूरे लाल यादव ने कहा था, ‘अब समय आ गया है कड़े फैसले लेने का.’

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को भी एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर था. दिल्ली-एनसीआर के आनंद विहार, पटपड़गंज, सरिता विहार, ओखला, गाजियाबाद और नोएडा में एयर क्वालिटी इंडेक्स जहां 425 के पार रहा. वहीं दिल्ली से सटे गुरुग्राम का एयर क्वालिटी इंडेक्स 315 के पार रहा.

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बुधवार को दिल्ली-एनसीआर का औसतन पीएम-2.5 का लेवल 270 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा वहीं पीएम-10 का लेवल 400 के आसपास रहा. भारत में पीएम-2.5 का मानक लेवल 60 और पीएम-10 का मानक लेवल 100 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

दिल्ली में वायु की खराब होती गुणवत्ता के कारण 89 प्रतिशत लोग या तो बीमार हो गए हैं या फिर उन्हें बेचैनी महसूस हो रही हैं. अधिकतर लोगों का मानना है कि प्रदूषण पर अगर जल्द ही लगाम नहीं लगा तो शहर छोड़ना भी पड़ सकता है.

पिछले दिनों पर्यावरण पर काम करने वाली एक सोशल नेटवर्किंग साइट ने देश के 17 शहरों के 5 हजार लोगों के बीच सर्वे किया. सर्वे में अधिकतर लोगों का मानना था कि दिल्ली में बेतहाशा पेड़ों की कटाई और क्षमता से अधिक वाहनों की मौजूदगी की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा है.

सर्वे में पाया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के लिए मुख्यतौर पर तीन-चार कारक जिम्मेदार हैं. वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुंआ, रोड निर्माण और कंस्ट्रक्शन के बहाने दिल्ली में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई.