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1984 Riot: आरोपी सज्जन कुमार दोषी करार, हाईकोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

निचली अदालत ने इस मामले में सज्जन कुमार को बरी किया था लेकिन खोखर, भागमल और लाल को आजीवन कारावास की और पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी

FP Staff

1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करारा दिया है. इसी के साथ उन्हें उम्रकैद की सजा भी सुना दी गई है. 34 साल बाद आए इस फैसेल में सज्जन कुमार को  षडयंत्र रचने, हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है.

कोर्ट के फैसले के मुताबिक सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा. वहीं सज्जन के अलावा कोर्ट ने बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा बढ़ाते हुए 10-10 साल की जेल की सजा सुना दी है.


हाईकोर्ट का ये फैसला निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है. दरअसल इस मामले में निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. इसके बाद निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई.

सज्जन कुमापर पर 5 लाक का जुर्माना

हाईकोर्ट ने इससे पहले 29 अक्टूबर को इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद सोमवार को हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार दिया. उम्रकैद के अलावा सज्जन कुमार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इसके अलावा बाकी दोषियों को जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने होंगे.

सजा सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कई दशक से लोग न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं, ये जांच एजेसिंयों की नाकामी है कि अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है

पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, रिटायर नेवी अफसर कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या से जुड़े मामले में दोषी ठहराया गया था. निचली अदालत ने इस मामले में सज्जन कुमार को बरी किया था लेकिन खोखर, भागमल और लाल को आजीवन कारावास की और पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी.

इसके बाद दोषियों ने मई 2013 में आए निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. सीबीआई ने भी अपील दायर करते हुए आरोप लगाया था कि वे ‘सुनियोजित सांप्रदायिक दंगे’ और ‘धार्मिक रूप से सफाया’ करने में संलिप्त थे. एजेंसी और पीड़ितों ने कुमार को बरी किए जाने के खिलाफ भी अपील दायर की थी.

इससे पहले इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 नवबंर को भी फसैला सुनाया था. हाईकोर्ट ने इस फैसले में 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में लगभग 80 लोगों को दोषी ठहराए जाने और पांच साल को जेल की सजा सुनाए जाने के फैसले को बरकरार रखा था. यह मामला पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए सिख दंगों से जुड़ा है. सिख हिंसा में 2800 सिख मारे गए थे. इस मामले की छानबीन करते हुए 2100 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.