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बुरहान वानी की बरसी से पहले कश्मीर के कुछ हिस्सों में लगाई गईं पाबंदियां

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए ऐहतियाती तौर पर यह कदम उठाए गए हैं

Bhasha

हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की बरसी से पहले कश्मीर में शनिवार को कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के मकसद से अधिकारियों ने ऐहतियातन कुछ पाबंदियां लगाई हैं. इस दौरान अलगाववादियों द्वारा किए गए हड़ताल के आह्वान का भी मिलाजुला असर देखने को मिला. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल कस्बे और श्रीनगर के नौहट्टा तथा मैसुमा पुलिस थाना क्षेत्रों में पाबंदियां लगाई गई हैं.

उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए ऐहतियाती तौर पर यह कदम उठाए गए हैं. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में आठ जुलाई 2016 को हुई एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने त्राल के रहने वाले वानी को मार गिराया था.


उसकी मौत के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे और लंबे समय तक कर्फ्यू लगा रहा था. करीब चार महीने तक चले विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में करीब 85 लोगों की जान गई थी. अधिकारी ने कहा कि समूची घाटी में संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है.

इस बीच महिलाओं के कट्टरपंथी संगठन दुख्तरान ए मिल्लत की प्रमुख आसिया अंद्राबी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के विरोध में बुलाई अलगाववादियों की हड़ताल का शनिवार को घाटी में मिलाजुला असर रहा.

ज्वाइंट रेसिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले अलगाववादियों ने शुक्रवार को अंद्राबी और उसकी साथियों को स्थानांतरित किए जाने के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया था. जेआरएल ने लोगों से पूर्ण बंदी रखने और सड़कों पर न निकलने की अपील की थी. जेआरएल में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि शहर के लाल चौक इलाके में जहां दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद थे वहीं शहर के दूसरे हिस्सों में हालात सामान्य थे. वानी की बरसी से पहले अलगाववादी नेताओं पर प्रशासन ने शिकंजा कसते हुए शुक्रवार को मलिक को हिरासत में ले लिया था जबकि मीरवाइज और गिलानी को नजरबंद रखा गया है.