बिहार में भागलपुर के सबौर प्रखंड से महज एक किलोमीटर दूरी पर बगडेर बगीचा में रहने वाले लोग संभावित बाढ़ से बचने के लिए पहले ही पेड़ों पर अपना आशियाना बनाने में जुट गए हैं. ग्रामीण बगीचे के पेड़ों और आसपास मचान बना रहे हैं और सामानों को सहेज कर रख रहे हैं.
पिछले साल आई बाढ़ ने पूरे गांव में तबाही मचा दी थी. बाढ़ की विभिषिका से बचने के लिए ग्रामीणों ने पेड़ों पर शरण ली थी. साल भर बीतने को है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से लोगों के लिए स्थायी ठिकाने की व्यवस्था नहीं की गई है.
गांव में पिछली बाढ़ का खौफनाक मंजर लोगों को अभी भी बखूबी याद है. दूर से ही हरा-भरा दिखने वाले बगीचे में बाढ़ से कई पेड़ सूख गए हैं. बाढ़ से तबाह हुई कई झोपड़ियां अब तक उजड़ी पड़ी हुई है.
बाढ़ समाप्त होने के बाद शासन से लेकर प्रशासन तक कोई भी यहां झांकने तक नहीं आया है. बगडेर बगीचा में रहने वाले लगभग 100 परिवार सरकार की कई योजनाओं से भी वंचित हैं. बगडेर बगीचा में पंछियों की तरह जीवन जी रहे ग्रामीणों में सरकार के उदासीन रवैये को लेकर घोर नाराजगी है.
गांव के पुलिस मंडल का कहना है कि भूमिहीन होने के बाद भी प्रशासन की ओर से जमीन मुहैया नहीं कराया गया है. वहीं उमेश मंडल पेड़ पर बने मचान पर अनाज समेतकर रखने में व्यस्त दिखे.
उन्होंने पेड़ पर से ही कहा कि देखिए हम लोगों का हाल? क्या-क्या जतन करना पड़ रहा है? लोग प्रशासन को कोसने के बजाय बाढ़ से बचने के लिए अपनी मुक्कमल तैयारी को ही बेहतर समझ रहे हैं.