कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की मौत की जांच के लिए गठित एसआईटी ने रविवार को 72 घंटे बाद भी अपनी रिपोर्ट लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को नही सौंपी है. वहीं घटना के चार दिन बाद भी पुलिस अभी अंधेरे में तीर चला रही है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने बताया कि 18 मई को गठित कोतवाली के अफसर के नेतृत्व में गठित एसआईटी से 72 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था लेकिन उसने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है. क्योंकि एसआईटी टीम घटना के हर पहलू की बारीकी से जांच कर रही है. इस काम में फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी टीम की भी मदद ली जा रही है.
उन्होंने कहा, जांच के दौरान पता चला है कि आईएएस तिवारी का घटना के दिन बेंगलुरू वापसी का कोई टिकट बुक नहीं था. मीडिया में ऐसी खबरें आई थी कि तिवारी को घटना के दिन सुबह 11 बजे के विमान से बेंगलुरू लौटना था.
तिवारी बेंगलुरू में खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग में आयुक्त के पद पर तैनात थे
एसआईटी प्रभारी अवनीश कुमार मिश्रा से जब पूछा गया कि तिवारी के परिवार वाले आरोप लगा रहे हैं कि उनकी हत्या की गयी है, उन्होंने कहा उन्हें इस संबंध में परिजनों की तरफ से कोई प्राथमिकी नहीं मिली है. वहीं तिवारी के भाई मंयक तिवारी ने आज कहा कि कल वह लखनउ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलेंगे और इस मामले में अज्ञात लोगो के खिलाफ तहरीर देंगे.
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी का शव 17 मई को अति सुरक्षित माने जाने वाले हजरतगंज के मीराबाई मार्ग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस के निकट संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया था.
तिवारी बेंगलूरू में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग में आयुक्त के पद पर तैनात थे. जिस जगह उनका शव पाया गया, वह अत्यंत कड़ी सुरक्षा वाले विधान भवन से लगभग एक किलोमीटर दूर है.