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अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी बिछड़े बच्चों को परिवार से मिलाने वाली इस बहादुर बेटी की कहानी

इनके प्रयासों और समर्पण से प्रभावित होकर महाराष्ट्र की 100 असाधारण महिलाओं के साथ 'नारी शक्ति पुरस्कार' प्राप्त करने के लिए भी चुना गया है

FP Staff

रेलवे सुरक्षा बल में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रेखा मिश्रा सामान्य आरपीएफ जवान की तरह अपना काम करती हैं. लेकिन इनके काम करने के तरीके से प्रभावित होकर अब इनके बारे में मराठी राज्य बोर्ड के 10वीं के बच्चों को पढ़ाया जाएगा.

रेखा मिश्रा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की हैं और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) में एसआई के पद पर तैनात हैं. इन्होने मुंबई के सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्टेशन से लगभग पिछले दो सालो में 900 से ज्यादा बच्चों को बचाया है. पिछले कुछ सालों में कई रेलवे स्टेशनों से सैकड़ों परेशान बच्चों को बचाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है.

मिश्रा रोज सुबह जल्दी ही अपनी ड्यूटी पर आती हैं और अपनी 12 घंटे की शिफ्ट पूरी करती हैं. ड्यूटी के दौरान वह रोजमर्रा के काम तो करती हैं ही. इसके साथ-साथ वह उन बच्चों की भी तलाश करती रहती हैं. जो परेशान हैं, कमजोर हैं. जिन्हें सहायता की जरुरत है.

रेखा मिश्रा बताती हैं कि, 'मुझे बहुत खुशी हुई कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हम जो कुछ भी करते हैं, उसे दैनिक आधार पर पहचाना जा रहा है. बच्चों को यह भी पता चलेगा कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं. वो बताती है कि उन्होंने अब तक 953 बच्चों की मदद की है. लेकिन खबरों में वह तब आईं जब उन्होंने चेन्नई से अपने घरों से भागकर आईं 3 लड़कियों को सही सलामत उनके परिवार तक पहुंचाया, ये तीनों लड़कियां मायानगरी के ग्लैमर से प्रभावित होकर मुंबई आईं थीं.

रेखा 2014 में आरपीएफ में भर्ती हुई थीं और इस समय छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में तैनात हैं. इनके प्रयासों और समर्पण से प्रभावित होकर महाराष्ट्र की 100 असाधारण महिलाओं के साथ-साथ 'नारी शक्ति पुरस्कार' भी दिया जाएगा.

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल भी इनके काम से बेहद प्रभावित हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि आरपीएफ इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा की भावना और दृढ़ संकल्प को सलाम करता हूं, जिन्होंने अपने परिवारों से अलग हुए 900 से अधिक गायब बच्चों को दोबारा उनके परिवार तक पहुंचाया.