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माओवाद से लड़ने के लिए सीआईएसएफ को मिलेगी और ताकत

सीआईएसएफ बलों की संख्या 1.45 लाख से बढ़ाकर 1.8 लाख करने की बात कही गई है

Debobrat Ghose

अप्रैल 2009: उड़ीसा के दमनजोड़ी में एशिया की सबसे बड़ी बॉक्साइट माइन नाल्को को बचाने के लिए 200 से ज्यादा हथियारबंद माओवादियों का सामना करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के 11 जवान शहीद हुए.

मई 2012: माओवादियों से मुठभेड़ में सीआईएसएफ के 6 जवान शहीद हुए. ये जवान छत्तीसगढ़ के बैलाडिला में किरंदुल में मौजूद एनएमडीसी की देश की सबसे बड़ी आयरन ओर माइन की सुरक्षा में लगे थे.


2009 से 2012 के बीच: सीआईएसएफ के 20 जवान छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के नक्सल प्रभावित इलाकों में हुए 21 हमलों में शहीद हो गए.

ये आंकड़े साफ बताते हैं कि सीआईएसएफ के जवान आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार के औद्योगिक ठिकानों की हिफाजत करते हुए कितने गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं. इन यूनिट्स पर नियंत्रण इकोनॉमी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

सीआईएसएफ ने अपने जवानों में किया इजाफा

मजबूत होगी सीआईएसएफ

गृह मंत्रालय के एक हालिया आदेश में सीआईएसएफ बलों की संख्या 1.45 लाख से बढ़ाकर 1.8 लाख करने की बात कही गई है. माओवादियों से देश के औद्योगिक ठिकानों को सुरक्षित रखने में सीआईएसएफ को इस फैसले से बड़ी ताकत मिलेगी. संख्याबल में बढ़ोतरी के अलावा, दो अतिरिक्त बटालियनों के गठन को भी हरी झंडी दी गई है. इसमें से एक बटालियन को माओवादियों के गढ़ बस्तर (छत्तीसगढ़) में तैनात किया जा सकता है.

नक्सल इलाकों में 49 यूनिट्स तैनात

देशभर में सीआईएसएफ की 49 यूनिट्स हैं. इनमें से 11 बेहद संवेदनशील माओवादी जोन में आती हैं. इन इलाकों को सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (एसआरई) जिले कहा जाता है. बस्तर में अभी सीआईएसएफ की दो यूनिट्स मौजूद हैं. जबकि सीआईएसएफ के एक इंस्पेक्टर-जनरल (आईजी) रैंक के अधिकारी की झारखंड में तैनाती है.

इस एक अफसर के हाथ में पूरे झारखंड, बिहार और उड़ीसा में मौजूद सीआईएसएफ की 19 यूनिट्स की देखरेख की जिम्मेदारी है.

अहम आर्थिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हाथ

आतंकवाद को बिलकुल बर्दाश्त न करने की सरकार की नीति को देखते हुए सीआईएसएफ आर्थिक ठिकानों पर माओवादी हमलों को कड़ा जवाब देने पर फोकस कर रही है. नतीजतन, सीआईएसएफ के 35000 अतिरिक्त जवान नक्सल इलाकों में तैनात किए जाएंगे. माइन्स, स्टील और पावर प्लांट्स, गैस पाइपलाइनों, रेल ट्रैक्स जैसी अहम आर्थिक इकाइयों पर नक्सल प्रभावित इलाकों में हमले का खतरा रहता है.

माओवादी हिंसा में हुआ है इजाफा

नए डीजी का रेड कॉरिडोर पर फोकस

सीआईएसएफ इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को बेहद गंभीरता से ले रही है. इस बात को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि सीआईएसएफ के नए डीजी ओपी सिंह ने सितंबर में पद संभालने के बाद अपना पहला दौरा किरंदुल का किया ताकि वहां हालात का जायजा लिया जा सके.

रेड कॉरिडोर एक ऐसा इलाका है जहां बड़ी तादाद में लेफ्ट विंग चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) या माओवादी हिंसा कायम है. यह इलाका 10 राज्यों में फैला है.

गुजरे सालों के दौरान कई जिले रेड कॉरिडोर की जद में आए हैं. हालांकि, एयरपोर्ट और मेट्रो की हिफाजत की जिम्मेदारी सीआईएसएफ के कंधों पर है, लेकिन माओवाद प्रभावित इलाकों में आर्थिक प्रतिष्ठानों को बचाने का उत्तरदायित्व इस बल के लिए कहीं बड़ी चुनौती और प्राथमिकता वाला काम है.

सिंह ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘मैनपावर में बढ़ोतरी से सीआईएसएफ को रेड कॉरिडोर में अपने ऑपरेशंस को मजबूती से चलाने में मदद मिलेगी क्योंकि हम इस जोन में इकॉनमिक सेक्टर की सुरक्षा कर रहे हैं. हमारे जवान न केवल एलडब्ल्यूई के खिलाफ संस्थानों को सुरक्षा दे रहे हैं, बल्कि ये इन औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम कर रहे हजारों स्टाफ मेंबर्स की भी हिफाजत कर रहे हैं.’

जवानों को स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग

सीआईएसएफ अपने जवानों को स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग दे रही है ताकि अपने मौजूदा एंटी-टेरर ऑपरेशंस को और पुख्ता तरीके से चलाया जा सके. इन जवानों की ट्रेनिंग में लैंडमाइन ट्रैक करना और मॉनिटरिंग मैकेनिज्म शामिल है.

सिंह ने बताया, ‘रेड कॉरिडोर में मौजूद सभी आर्थिक इकाइयों की सुरक्षा करना सीआईएसएफ की मुख्य प्राथमिकता है. छत्तीसगढ़ सबसे अधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में आता है. बड़े इलाके और घने जंगलों के चलते वहां निगरानी करना बहुत कठिन काम है. झारखंड में सीआईएसएफ जादूगोडा में यूरेनियम माइन्स और सेंट्रल कोलफील्ड्स की कोल माइन्स की सुरक्षा कर रही है.’

सरकारी और गैर-सरकारी प्रतिष्ठानों पर माओवादियों के लगातार बढ़ रहे हमलों को देखते हुए सीआईएसएफ की भूमिका काफी अहम हो जाती है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार आतंकी हमलों की घटनाओं की निगरानी कर रही है. सरकार रेड कॉरिडोर में मौजूद आर्थिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की समीक्षा कर रही है.

सूत्र ने बताया, ‘इन फैक्टर्स को देखते हुए, केंद्र ने संवेदनशील और महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपी है. सीआईएसएफ के अनुरोधों के आधार पर अब संख्याबल को बढ़ाया जा रहा है और यह इस बल को और मजबूत बनाएगा.’