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काला हिरण: क्यों है इतना खास, मारने पर बड़ी सजा

काला हिरण शिड्यूल 1 में आने वाला जानवर है और इसके शिकार पर पूरी तरह पाबंदी है

FP Staff

यह कृष्णमृग कई सींहों वाली प्रजाति होती है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है. कालाहिरण बहुसिंहा की एकलौती जीवित प्रजाति है. यह भारत के अलावा पाकिस्तान और नेपाल में भी पाई जाती है. यह पहले बांग्लादेश में भी रहता था लेकिन अब वहां से विलुप्त हो गया है.

ये कुछ इलाकों में सामान्य आबादी बनाए हुए हैं जबकि संरक्षित इलाकों में बढ़ रहे हैं. कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां ये फ़सलों को नुकसान पहुंचाते हैं. काला हिरण शिड्यूल 1 में आने वाला जानवर है और इसके शिकार पर पूरी तरह पाबंदी है.


नर ब्लैक बक रंग भी बदलते हैं. मानसून के अंत तक नर हिरणों का रंग ख़ासा काला दिखता है, लेकिन सर्दियों में ये रंग हल्का पड़ने लगता है और अप्रैल की शुरुआत तक एक बार फिर भूरा हो जाता है. भारत में काले हिरण आम तौर पर राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में पाए जाते हैं.

बिश्नोई समुदाय काले हिरण की करते हैं पूजा 

भारत में, 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसूची एक के तहत काले हिरण के शिकार पर बैन है. हिंदू धर्म में भी काले हिरण का काफी महत्व है इसलिए उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है.

बिश्नोई जैसे समुदाय इन्हें पूजते हैं. आंध्र प्रदेश ने इन्हें स्टेट एनिमल का दर्जा दिया है.

विकीपीडिया की मानें तो काला हिरण घास के मैदानों और जंगलों में रहते हैं, उन्हें बार-बार प्यास लगती है. यह एक दुर्लभ प्रजाति है, 20वीं शताब्दी के दौरान अत्यधिक शिकार और वनों की कटाई की वजह से इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है.