राज्य सरकारों द्वारा किसानों की लोन माफी की घोषणाओं से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है. साथ ही ‘लोन संस्कृति’ खराब होता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह बातें कही.
आरबीआई ने राज्यों के वित्त पर 2016-17 की रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की कर्ज माफी से किसानों पर तो बोझ कम होगा, लेकिन यह करदाताओं से पैसा लेकर कर्जदार को देने के समान है. इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी.
इसमें कहा गया है कि कर्ज माफी से ऋण अनुशासन, ऋण संस्कृति पर असर होता है. इसके अलावा, लोन लेने वाले इसे नहीं चुकाने के लिए प्रेरित होते हैं.
रिजर्व बैंक ने आगाह किया है कि ऋण राहत बांड जारी करने से अगर राज्य सरकारों का कुल कर्ज बढ़ता है तो राज्य विकास ऋण पर यील्ड (निवेश पर प्राप्ति) बढ़ सकती है. इससे भविष्य में उनके लिए कर्ज ऊंचा होगा.
रिजर्व बैंक की यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक लाख रुपए तक के फसल ऋण की माफी की घोषणा के बाद आई है. इससे राज्य सरकार पर 36,359 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. राज्य सरकार ने किसानों की कर्ज माफी के लिए 36,359 करोड़ रुपए जुटाने के लिए किसान राहत बांड जारी करने का फैसला किया है.