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रैनसमवेयर सायबर अटैक से आप कितने सुरक्षित हैं?

साइबर हमलावरों ने 'रैनसमवेयर' के जरिए पहले कंप्यूटरों पर हमला किया फिर मांगी फिरौती

Piyush Pandey

शुक्रवार शाम 100 देशों के दो लाख से ज्यादा कंप्यूटरों पर हुए साइबर हमले ने दुनिया भर के सूचना तकनीक जानकारों की नींद उड़ा दी है. इससे बड़ा साइबर हमला पहले कभी हुआ नहीं.

जिस तरह साइबर हमलावरों ने एक साथ दुनिया के कई देशों के कंप्यूटरों को निशाना बनाया, वो साइबर हमले को लेकर उनकी क्षमता दिखाता है. भारत भी इस हमले की जद में आया. आंध्र प्रदेश पुलिस के करीब 100 सिस्टम इस वायरस से प्रभावित हुए.


वायरस हमले के बाद फिरौती की डिमांड

साइबर हमलावरों ने 'रैनसमवेयर' के जरिए पहले कंप्यूटरों पर हमला किया, और कंप्यूटर करप्ट होने के बाद इन्हें दुरुस्त करने के लिए 300 से 600 डॉलर तक की फिरौती मांगी.

हजारों लोगों ने डिजिटल करेंसी बिटकॉइन के जरिए भुगतान भी किया. हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि कितने लोगों ने ऐसा भुगतान किया.

'रैनसमवेयर' के जरिए हमला कोई नया नहीं है. पहले भी दुनिया के कई देश इस तरह के हमलों से प्रभावित हुए हैं लेकिन इस बार साइबर हमलावरों ने कई देशों के कंप्यूटरों को प्रभावित कर जता दिया कि वो नेटवर्क सुरक्षा करने वालों से एक कदम आगे हैं.

लेकिन सवाल सिर्फ रैनसमवेयर का नहीं है. सवाल इंटरनेट की दुनिया में सामने खड़े खतरों का है और सवाल यह है कि क्या हम उनसे बचने में सक्षम हैं. क्योंकि साइबर खतरे किस रुप में अब हमारे सामने आएंगे, इसकी कल्पना भी हमने अभी नहीं की है.

वायरस हमले से हड़कंप 

उदाहरण के लिए 2014 में दुनिया की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के ट्विटर खाते से एक संदेश प्रसारित हुआ, जिसने कुछ पलों के लिए दुनियाभर में हड़ंकप मचा दिया.

एपी के ट्विटर खाते से एक ट्वीट हुआ- 'ब्रेकिंग. व्हाइट हाऊस में दो विस्फोट. राष्ट्रपति ओबामा घायल.'

इस छोटे से ट्वीट को चंद सेकेंड में हज़ारों लोगों ने री-ट्वीट यानी पुन: प्रसारित कर दिया. नतीजा अमेरिका के सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया. इतना ही नहीं, शेयर बाजार में झटके में गिर गए.

यह अलग बात है कि चंद मिनट के भीतर की एपी का ट्विटर खाता स्थगित कर दिया गया और एजेंसी ने घोषणा कर दी कि उसका ट्विटर खाता हैक हो गया था.

सिर्फ दो-तीन मिनट की इस अफवाह ने शेयर बाजार के पंडितों को सोचने के लिए विवश कर दिया कि आने वाले दिनों में इस संकट से कैसे निपटा जाएगा.

सोशल मीडिया आतंक से भी जुड़े तार

सोशल मीडिया आतंकवाद का एक सिरा भी इसी तरह की अफवाहों से जुड़ता है. क्या अब इस आशंका से इंकार किया जा सकता है कि सफेदपोश आतंकवादी सोशल मीडिया के इन मंचों का इस्तेमाल आने वाले दिनों में अफवाहों के प्रसारण के लिए नहीं करेंगे?

कुछ साल पहले मैक्सिको के वराक्रूज में हुयी घटना के बाद गृह सचिव गेराडो बुजांजा ने ‘ट्विटर टेरेरिज्म’ का पहली बार सही मायने में जिक्र भी किया. वहां एक स्कूल में बच्चों के अपहरण होने और बंदूकधारी द्वारा गोलियां चलाए जाने की खबर ट्विटर पर प्रसारित हुई तो लोगों के बीच भगदड़ मच गई.

माना गया कि कई माता-पिता ने अपने बच्चों को सुरक्षित देखने के लिए सड़कों पर फर्राटा कार दौड़ाई. इस वजह से कई सड़क दुर्घटनाएं हुई और कई लोग घायल हो गए. आपातकालीन फोन लाइन जाम हो गई. सूचनाओं के बिना फिल्टर हुए प्रसारित होने के गुण-दोष के बीच ‘ट्विटर टेरेरिज्म या सोशल मीडिया टेरेरिज्म’ नया जुमला बना.

सोशल मीडिया पर तेजी से फैलता है अफवाह

व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर के जरिए फैलती अफवाहों का प्रभाव अब हम आए दिन देख ही रहे हैं. 2014 में असम हिंसा और मुजफ्फरनगर दंगों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल की बात अब खुलकर सामने है. इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की भर्ती में सोशल मीडिया की भूमिका भी अब खुलकर सामने आ चुकी है.

हैकिंग की समस्या से अभी तक हम निपट पाने में नाकाम रहे हैं. एसोचैम-पीडब्ल्यूसी के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक 2016 के पहले दस महीने में देश में साइबर क्राइम के 39730 मामले हुए.

बढ़ रही है असुरक्षा 

वहीं, साल 2014 और 2015 में यह संख्या कुल मिलाकर 44,679 और 49,455 रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम सीईआरटी-इन ने अक्टूबर 2016 तक साइबर क्राइम के मामले बढ़ने की रिपोर्ट दी है जबकि 39,730 सुरक्षा सेंध के मामले सामने आए.

रैनसमवेयर साइबर अटैक से एक तरफ जहां दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां बचने में लगी है वहीं दूसरी तरफ पंचायत के कंप्यूटर पर भी इस तरह साइबर अटैक के चपेट में आने लगी हैं.

केरल के दो पंचायतों के ऑफिस के कंप्यूटरों पर रैंसमवेयर साइबर अटैक हुआ है. यह साइबर अटैक वायनाड जिले के थारियोड पंचायत और पथानमथिट्टा जिले के अरुवापुलम पंचायत के कंप्यूटरों पर हुआ.

इन पंचायतों के कंप्यूटर के स्क्रीन पर लिखा आ रहा है कि अपनी फाइलों को खलने के लिए बिटकॉइन में 300 डॉलर का भुगतान करें.

तेजी से बढ़ रहा है खतरा

दरअसल, अलग-अलग किस्म के ढेरों खतरे हैं और सच कहा जाए तो इन खतरों से निपटने का तंत्र अभी तक हम विकसित नहीं कर पाए हैं.

यानी पहली जरूरत गंभीर सरकारी प्रयासों की है. लेकिन दूसरी जरुरत उपयोक्ताओं के जागरुकता की है, और दुर्भाग्य से अभी तक इस दिशा में भी हमने कुछ नहीं किया.

यानी रैनसमवेयर अटैक भले अभी के लिए टला मान लिया जाए लेकिन फिर भी खतरे टले नहीं हैं-ये समझना जरुरी है.